राजकुमार की कलम से
निषाद समाज के बुद्धिजीवियों ध्यान से पहचानो ये कौन हैं ये जिस संगठन के साथ चहलकदमी कर रहे हैं वो आरक्षण का घोर विरोधी संगठन है ये किस मुंह से आरक्षण की बात करते हैं यदि इस संगठन का मुखिया इनसे आरक्षण मुर्दाबाद बोलने को कहेगा तो ये बोल भी सकते है आरक्षण की लड़ाई निषाद समाज को स्वयं लड़नी पड़ेगी किसी भी बहुरूपिए के सहारे नहीं शायद आप लोगों ने एक गाना सुना होगा तू निकला छुपा रूस्तम ये तो वही निकले जागो और जगाओं नहीं तो बहुरूपियों के सहारे हाथ पर हाथ धरे बैठे रहो आरक्षण नहीं तो भाजपा व उसके सहयोगियों को वोट नहीं के नारों से सोशल मीडिया को पाट दो ये वही लोग हैं जो शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान ज्ञान बांटते हैं कि दूसरों के महलों में गुलामी करने से बेहतर है कि अपनी झोंपड़ी में राज करो लेकिन गुलामी कौन कर रहा है ये जगजाहिर है आपका अपना सामाजिक शुभ चिंतक