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क्या आरजीआई व एससी कमीशन ही है सुपर पॉवर तो संसद व सरकार का क्या मतलब
लखनऊ।राष्ट्रीय निषाद संघ(एन ए एफ) के राष्ट्रीय सचिव चौ.लौटनराम निषाद ने 18 ओबीसी उपजातियों को एससी दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर कहा कि अब भाजपा की डबल इंजन की सरकार इन जातियों के लिए सिर्फ बहाना, और सवर्णो के लिए खोल रख्खा हैं सरकार का खजाना कितनी गलत बात है।उन्होंने कहा कि आरजीआई व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ही सुपर पॉवर नहीं है कि वह सरकार की इच्छा के विरुद्ध तानाशाही दिखाए।उनका कहना है कि राष्ट्रपति द्वारा जारी 10 अगस्त,1950 की अधिसूचना में बेलदार,मझवार, पासी,शिल्पकार आदि सहित 53 जातियाँ एससी में सूचीबद्ध की गईं।संविधान
(अनुसूचित जातियाँ) संशोधन विधेयक,1957 के अनुसार इसमें गोंड को भी शामिल किया गया।निषाद ने बताया कि सेन्सस ऑफ इंडिया-1961,मैनुअल पार्ट-1 फॉर यूपी की अनुसूचित जातियों की सूची के क्रमांक-51 पर अंकित मझवार की पर्यायवाची व वंशानुगत जाति नाम मल्लाह,केवट,माँझी,मुजाबिर, राजगौड़, गोंड मझवार का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।इसी सेन्सस की सूची के क्रमांक- 59 पर पासी या तड़माली के साथ भर,त्रिसूलिया, राजपासी,भर पासी,रावत,बहेलिया आदि व क्रमांक 65 पर अंकित शिल्पकार की पर्यायवाची के रूप में कुम्हार,नाई आदि का उल्लेख है।उन्होंने कहा कि यह सूची किसी निषाद, कश्यप,राजभर,प्रजापति ने नहीं बल्कि आरजीआई/सेन्सस कमिश्नर ने जनगणना के लिए जारी किया था।उन्होंने कहा कि 1931 की उत्तर प्रदेश की अनटचेबल एंड डिप्रेस्ड क्लास की सूची के क्रमांक-8 पर मझवार(माँझी) अंकित है।आज़ादी से पूर्व के अभिलेखों व दस्तावेजों में माँझी,मझवार, केवट,मल्लाह,बिन्द, धीमर,धीवर, गोड़िया,तुरहा, तुरैहा, गोंड़, बेलदार,चाई, तियर, बाथम,कहार आदि को एक दूसरे से सम्बंधित लिखा गया गया है तो आज ये अलग अलग क्यों?
निषाद ने कहा कि देश की संसद को संविधान संशोधन करने व नियम-कानून बनाने का पूर्ण अधिकार है।संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण कोटा का कोई प्राविधान नहीं था और देश के शीर्ष अदालत ने भी मण्डल कमीशन के दौरान आर्थिक आधार पर आरक्षण को सिरे से खारिज कर दिया था।इसके बावजूद भी केन्द्र सरकार ने संविधान संशोधन कर सवर्ण जातियों को 10 प्रतिशत आरक्षण कोटा दे दिया।उन्होंने कहा कि अगर भाजपा श्रीराम व निषादराज की मित्रता में विश्वास करते हुए निषाद मछुआ समुदाय सहित वंचित जातियों को मझवार,तुरैहा,
गोंड़,बेलदार,शिल्पकार व पासी तड़माली के साथ परिभाषित कर आरक्षण देने के प्रति दृढ़निश्चयी है तो कोई ताकत रोक नहीं सकती।उन्होंने कहा कि संसद व केन्द्र सरकार के सामने आरजीआई व एससी कमीशन की कोई औकात नहीं कि सरकार की मंशा के विरुद्ध टिप्पणी करे।
निषाद ने कहा कि सपा,बसपा,
भाजपा,कांग्रेस आदि सभी दलों ने 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण दिलाने का वादा किया,पर यह 2004 से आज तक पूरा नहीं हुआ।आरक्षण के लालच में ये जातियाँ अभी तक फुटबॉल की गेंद बनी हुई हैं।वर्तमान में भाजपा की पूर्ण बहुमत की डबल इंजन की सरकार है,ऐसे में अब कोई बहाना नहीं चलेगा।निषाद ने कहा कि अभी तक ये जातियाँ एससी आरक्षण की हकदार नहीं बन पायीं,जिसका कारण है कि जो जातियाँ नहीं चाहती कि ये जातियाँ एससी में शामिल हों,उसी जाति के उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री, केन्द्र के सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री,आरजीआई, सेन्सस कमिश्नर व एससी कमीशन के चेयरमैन रहते रहे हैं और आज भी हैं।उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ईमानदारी से चाह लें तो बाएं हाथ का खेल है।ये वही आदित्यनाथ हैं जो गोरखपुर के सांसद रहते हुए संसद में बार बार निषाद जातियों को अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ देने की मांग उठाते थे, आज ज़ब यें खुद मुख्यमंत्री हैं और केन्द्र में इनकी सरकार है तो चुप्पी साध लिये हैं। निषाद आरक्षण के पर राजनीति में आये संजय निषाद अब सिर्फ सौदेबाजी व लूट का धंधा चलाकर पारिवारिक भरण पोषण करने में जुटे हुए हैं। निषाद संवैधानिक आरक्षण की बात कर सिर्फ समाज को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संजय निषाद के कारण आरक्षण का मुद्दा निप्रभावी हो गया, साथ ही बालू मोरम खनन पट्टा, मत्स्य पालन पट्टा का अधिकार भाजपा सरकार द्वारा छीन लिये गये, संजय निषाद के लूट के धंधे के कारण माँ गंगा सहित अन्य नदियां जो नीलामी के दायरे में नहीं थीं, उन्हें भी मत्स्याखेट व शिकारमाही के लिये नीलामी का शासनादेश बना दिया गया है।