कश्यप सन्देश

कीर्ति : कवि रामसिंह कश्यप ‘राम’ की कलम से

जग से लोग चले जाते हैं, रह जाती तस्वीरें हैं।
कर्मों से बनती मिटती, इंसानों की तकदीरे है।


पूर्व जन्म के संस्कार से, होता जीवन का उद्भव,
कोई भोग यानि है पाता, कोई बने महा मानव।
कट जाती निष्काम कर्म से, जन्मों की जंजीरें हैं।
जग से लोग चले जाते हैं, रह जाती तस्वीरें हैं।

कीर्ति कामना किंचित कोई, तो कुछ अच्छे काम करो।
सत्य, धर्म और न्याय पर चलकर, जग में ऊंचा नाम करो।
दौलत से बढ़कर होती है, शोहरत की जागीरें हैं।
जग से लोग चले जाते हैं, रह जाती तस्वीरें हैं।

दुर्लभ मानव देह है पाई, सेवा पर उपकार करें।
दीन, दुखी, पीड़ित व शोषित, मानवता से प्यार करें।
घृणा, द्वेष से मत खींचें हम, धर्म व जाति लकीरें हैं।
जग से लोग चले जाते हैं, रह जाती तस्वीरें हैं।

मातृभूमि पर राम जो करते, अपने प्राणों का बलिदान।
आने वाली सदियां करती, उनके गौरव का गुणगान।
पग-पग भारत देव भूमि पर, मिलती राम नजीरें हैं।
जग से लोग चले जाते हैं, रह जाती तस्वीरें हैं।

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