वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण।
भारतवर्ष में सैकड़ों वर्षों पूर्व मंदिर क्यों बनायेगये हैं,इसके पीछे बहूत बड़ा वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण है, जिस पर इन पंक्तियों के लेखक ने प्रकाश डाला है। प्रायः यह देखा गया है कि मनुष्य या उसका मन जब हार जाता है या जीवन के झंझावातों से लड़ कर थक जाता है,तो मंदिर या भगवान कीशरणमे आने को बाध्य हो जाता है और मंदिर में आने के बाद उसे मनोमय शांति मिलती भी है,जानिए मंदिर के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रहस्य को,कि हमारे मनीषियों ने मंदिर बनवाने के बारे में क्या सुझाव दिया रहा होगा।
पूर्व में जितने भी सिद्ध पीठों के शक्ति या देवी देवताओं के मंदिर बनायेंगये हैं, सभी आज़ भी जागृत अवस्था में हैं, जैसे 51शकति पीठों के मंदिर 12जयोतिरलिंगोकेमंदिर जैसे विश्वेश्वर मंदिर बाबा विश्वनाथ मंदिर वाराणसी एवं महाकालेशवर मंदिर उज्जैन, केदारनाथ, बद्री नाथ भगवान मंदिर उत्तराखंड आदि बहुत ही जागृत अवस्था में हैं, क्यों कि
उनके गर्भ गृह में जो दिव्य मूर्तियां प्र तिषठापित कीग ई हैं, में अनवरत ब्रह्मांडीय ऊर्जा प्रवाहित होती रहती है , जिससे वे सर्वदा सजीव और जागृत अवस्था में सर्व काल तक रहेंगे और लोगों की श्रद्धा के केंद्र विंदु बनेरहेंगे।इन मंदिरों में प्रा ण ऊर्जा प्रवाहित होते रहने का कारण यह भी है कि इनकी प्राण प्रतिष्ठा दिव्य अवतारों जैसे आदिशंकराचार्य जी, रामेश्वर में स्वयं श्रीरामचन्द्र जी द्वारा कीग ई हैं। उनमें से 12जयोतिरलिंगोकेमंदिर तो स्वयं भू हैं। इसके अलावा उड़ीसा के लिंगराज मंदिर, सूर्य मंदिर कोणार्कके मंदिर आज भी सजीव वजागृत अवस्था में हैं।तथा भगवान जगन्नाथ जी मंदिर पुरी में तो साक्षात् भगवान श्री कृष्ण जी का दिल धड़कता है। इसी प्रकार बजरंग बली के भी कुछ बहुत सिद्ध वजागृत मंदिरों की प्राण-प्रतिष्ठा कीग ई है, जो सर्व काल तक लोगों की मनोकामना ओ को पूरा करता रहेगा। इसी प्रकार मां सरस्वती, महाकाली, महालक्ष्मी और दुर्गा व ललिता देवी भगवती का भी जागृत मंदिर हैं, व्यस्तता और समयाभावकेकारण पूरी विवेचना नहीं हो पा रही है, आगे समय मिला तो वृहद रूप से इन समस्त जागृत मंदिरों के बारे में जानकारी लेखक द्वारा दी जाती रहेगी, ये समस्त मंदिर विज्ञान और आध्यात्मिक दृष्टि कोण से बनाये गये हैं। जिनका विवरण अगले लेख में प्रकाशित किया जा सकेगा।
लेखक-राम वृक्ष भूतपूर्व इंजीनियर एवं प्राकृतिक चिकित्सक वाराणसी