कानपुर नगर क्षेत्र स्थित विश्व बैंक बर्रा में आयोजित सनातन सेवा सत्संग द्वारा विश्व काव्योत्सव में कविता के विविध रंग उभरे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में श्री सुधीर भाई मिश्र एवं वरेण्य अतिथि के रूप मे श्री विजय पंडित उपस्तिथ रहे कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री अखिलेश शुक्ल तथा संचालन कवि राजेश दीक्षित कक्का नें किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती वंदना से हुआ।
चर्चित कवि श्री अनुराग बाजपेयी नें अपनीं रचना “जिन्दगी जीना है तो फिर प्रेम करना सीख लो प्रस्तुत कर वाह वाही लूटी। वरिष्ठ कवि श्री अशोक शास्त्री ने “जानें कैसे पढ लेती थी मेरी गहन उदासी, इसी वजह से रह जाती माँ उस दिन भूंखी प्यासी” पढकर वातावरण को संवेदनशील बना दिया। प्रख्यात कवि श्री संजीव मिश्र नें अपनीं रचना “राजपाट सिंहासन त्यागा तभी तो भगवान बनें” प्रस्तुत की। चर्चित कवि र्श्री राजेश दीक्षित “कक्का” नें गाँव के बदलते हुये स्वरुप पर अपनीं अभिव्यक्ति प्रस्तुत करते हुये पढा ‘गाँव नहीं वह था कुटुम्ब, सबसे परिजन जैसा नाता, रिश्तेदार किसी का हो, वह सबका अपना हो जाता’ पढ कर कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। कवयित्री पूनम पान्डे के गीत बहुत सराहे गये। कवि शिवशरण मिश्र की चिन्तनशील रचनायें बहुत पसंद की गयीं। इस अवसर पर कपिल बाजपेयी, पवन तिवारी एवं मीरा मिश्रा के भजनों नें माहौल को भक्तिपूर्ण बना दिया।
कार्यक्रम के संयोजक श्री आशीष दीक्षित नें कवियों का स्वागत किया।कार्यक्रम में श्री भूपेश अवस्थी, इ. पी. एन राय, निर्मला राय, जगदीश नारायण मिश्र, लक्ष्मीं नारायण त्रिवेदी, रामू मिश्रा, केशव गुप्ता, ज्ञानीश मिश्रा, आर. के. दुबे, श्रीमती सरला गुप्ता, सी. पी, पांन्डे, कृपा शंकर शुक्ल, सुधीर शुक्ला “शीलू”, डा. अखिलेश बाजपेयी (पार्षद), अतुल अवस्थी,उपेंन्द्र मिश्र
आदि गणमान्य लोग उपस्तिथ रहे।