लालू प्रसाद बिंद( पूर्वांचल महासचिव )
मैं ही बिंद, साहनी और मैं ही निषाद पुत्र हूँ,
शत्रुओं का विकट शत्रु, दोस्तों का सच्चा मित्र हूँ।
मैं ही धनुर्धर एकलव्य के लगन का गंतव्य हूँ,
द्रोण जैसे गुरुओं को बेनकाब करने वाला शिष्य हूँ।
मैं ही कालू बाबा की योग्यता का गुरुत्व हूँ,
जिसका फैला देश-दुनिया में व्यापक महत्व हूँ।
मैं ही पृथु निषाद हूँ, जिससे पृथ्वी का अस्तित्व है,
मैं ही देवर्षि नारद का गुरु हूँ, जिनका पौराणिक महत्व है।
मैं ही बाबा मच्छेन्द्रनाथ, गोरखनाथ का उस्ताद हूँ,
जनहितैषी नाथ सम्प्रदाय का मैं ही सच्चा नाथ हूँ।
मैं ही रानी रासमणि, देश धर्म की आन हूँ,
काली कलकत्ता वाली के मंदिर की शान हूँ।
हाँ, मैं ही निषाद हूँ…
श्रंग्वेपुरी नरेश की मित्रता का अक्स हूँ,
विपदा में मित्र की मदद करने वाला सख्श हूँ।
मैं ही महर्षि कश्यप, सृष्टि का निर्माता हूँ,
हिरण्यकश्यप से लेकर, होलिका जैसी माता हूँ।
राम जी को गंगापार कराने वाला, मैं ही नत्थालाल केवट हूँ,
बकाया उतराई पाने की प्रतीक्षा करने वाला, मैं ही सच्चा सेवक हूँ।
धोखा देकर सताया, मारा गया वही जरा एकलव्य हूँ,
अरि से प्रतिशोध लेने वाला, मैं ही भील एकलव्य हूँ।
मैं ही वेदव्यास, चारों वेदों का सर्जक हूँ,
भारत का भाल ऊँचा करने वाला, मैं श्रेष्ठ अर्जक हूँ।
मैं ही महारानी सत्यवती, महाभारत की कर्णधार हूँ,
वेदव्यास महाज्ञानी की जन्मदायिनी, देश की खेवनहार हूँ।
हाँ, मैं ही निषाद हूँ…