शीतल देवी का जन्म 2007 में जम्मू-कश्मीर के डोगरा समाज के एक साधारण परिवार में हुआ था। वह निषाद वंश की एक प्रतिनिधि हैं, और उनका जन्म फोकोमेलिया नामक दुर्लभ जन्मजात विकार के साथ हुआ था, जिसके कारण उनके हाथ पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाए। शारीरिक चुनौतियों के बावजूद, शीतल ने अपने साहस और संघर्ष के बल पर असंभव को संभव कर दिखाया।
2023 में, शीतल देवी ने विश्व तीरंदाजी पैरा चैंपियनशिप में अपने पहले ही सीज़न में व्यक्तिगत रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया। यह पदक जीतने वाली वह पहली महिला आर्मलेस तीरंदाज बन गईं। इस शानदार उपलब्धि ने न केवल उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई, बल्कि पेरिस 2024 पैरालिंपिक के लिए भारत का कोटा भी सुनिश्चित किया।
2024 में, शीतल देवी ने अपने कौशल और धैर्य की एक नई कहानी लिखी। उन्होंने पेरिस 2024 पैरालिंपिक में राकेश कुमार के साथ मिश्रित कंपाउंड तीरंदाजी टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा। मात्र 17 साल की उम्र में वह भारत की सबसे कम उम्र की पैरालिंपिक पदक विजेता बनीं, और बिना हाथ वाली दूसरी तीरंदाज बनीं जिन्होंने यह मुकाम हासिल किया।
अक्टूबर 2023 में, शीतल ने एशियाई पैरा खेलों में भी शानदार प्रदर्शन किया और कंपाउंड तीरंदाजी में विश्व रैंकिंग में पहला स्थान हासिल किया। शीतल देवी ने न केवल अपने देश, बल्कि अपने निषाद वंश और डोगरा समाज का भी नाम रोशन किया है। उनके साहस, संकल्प और उपलब्धियों पर हम सबको गर्व है।