राम वृक्ष भूतपूर्व इंजीनियर वाराणसी उत्तर प्रदेश।
मां और उसकी ममता, तपस्या, भगवान के प्रति समर्पण भाव क्या होता है, मित्रों,इस छोटी सी मेरी स्वयं की अपनी कहानी से चरितार्थ हो जायेगा,बात सन् 1962कीहै,जब मैं ननिहाल में कक्षा 5वीं में पढ़ रहा था, चूं कि मेरे अपने गांव में बहुत गरीबी थी और स्कूल दूर था और नदी पार कर जाना पड़ ता था, इसलिए मां के आग्रह पर मेरे बड़े मामा और नानी ने पढ़ने हेतु मुझे अपने घर यानी मेरे ननिहाल में बुला लिया। बचपन से ही मां के समान मैं बहुत ही मेहनती लगनशील और कर्मठ था। क्यों कि मां ने बताया था कि मेहनत करोगे तो ईश्वर उसका फल अवश्य देंगे।एक बार की बात है किमै बहुत तेज बीमार पड़ गया वर्षा त के दिन थे, उस जमाने में गांव में डाक्टर और दवाओं का अभाव हुआ करता था,आप लोग जानते ही होंगे,मेरी तबीयत दिन पर दिन बिगड़ती ही जारही थी,और छाती में बलगम काफी भर जाने से मेरा बचना मुश्किल था, परंतु मेरी मां को भगवान पर बहुत भरोसा था,घर के सारे लोगों ने आशा छोड़ दिया था, कि बच्चे को बचा पाना मुश्किल है,
ऐसे में मां की भगवान के प्रति समर्पण और बड़े मामा जी भी देव स्वरूप थे,उनकी भी भगवान में बड़ी आस्था थी और उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की कि हे ईश्वर लाज रख लीजिए, बच्चे को बचा लीजिए, उस समय मेरी उम्र 12सालकीथी, और ननिहाल में था, माता जी और मामाजी की प्रार्थना भगवान ने सुन ली, डाक्टर भी आये हुए थे, परंतु उन्होंने कह दिया था कि मेरे वश का नहीं है, ईश्वर ही बचा सकता है।यह कह कर डाक्टर चले गये थे और गांव में बता दिये थे कि बच्चे की जिंदगी अब थोड़े समय की रह ग ई है। परंतु चमत्कार होगया, मित्रों,और मैं ठीक होने लगा।वैसे कमजोरी और एक माह से अन्न नलेनेऔर थोड़ा बहुत दूध लेते रहने से मैं काफी कमजोर हो गया था, चल-फिर नहीं पाता था, परंतु ईश्वर की कृपा और मां तथा मामा जी के आशीर्वाद से पुनर्जीवन प्राप्त कर सका।यह लिखते हुए मुझे बहुत दुःख हो रहा है कि वे दोनों लोग इस दुनियां में नहीं है, परंतु उनका आशीर्वाद मेरे साथ है, कभी भी मां की तपस्चर्या का मूल्यव कर्ज कभी-भी नहीं चुकाया जासकता है, इसलिए आप लोगों से निवेदन है कि मां बाप को कभी सपने में भी न ठुकरायें,