इस समय दक्षिण अफ्रीका के निकट स्थित नामीबिया देश भयंकर अकाल का सामना कर रहा है। इस अकाल के चलते देश में चारों ओर भुखमरी फैली हुई है। इस विकट परिस्थिति में नामीबिया सरकार ने एक दुखद घोषणा की थी, जिसमें उन्होंने 700 से अधिक जंगली जानवरों, जिनमें 200 से अधिक हाथी शामिल थे, को मारने का आदेश दिया था। इसका उद्देश्य स्थानीय लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था करना था।
जब यह समाचार अहमदाबाद की जैन संस्था तपोवन यूथ त्याग तक पहुंचा, तो उन्होंने तुरंत ही भारत के नामीबिया में स्थित राजदूत से संपर्क किया। भारतीय राजदूत ने नामीबिया सरकार से बातचीत की और जैन संस्था तपोवन यूथ त्याग के मैनेजिंग ट्रस्टी श्री हिमांशु भाई शाह, देवर्षि शाह एवं अभय शाह से भेंट की।
जैन संस्था ने नामीबिया सरकार से आग्रह किया कि वे जंगली जानवरों को मारने का आदेश वापस लें, और आश्वासन दिया कि वे नामीबिया के लोगों के लिए अनाज और अन्य आवश्यक सामग्री की व्यवस्था करेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में खाने हेतु किसी भी जंगली जानवर को मारने का आदेश जारी न किया जाए। इसके साथ ही, नामीबिया में खेती-बाड़ी हेतु आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराने का भी आश्वासन दिया गया।
जैन संस्था तपोवन यूथ त्याग के इस अनुरोध पर नामीबिया सरकार ने तुरंत ही निर्दोष जीवों को मारने का आदेश निरस्त कर दिया। इसके बाद, तपोवन जैन संस्था द्वारा 27 मेट्रिक टन अनाज नामीबिया भिजवाया जा रहा है, और भविष्य में 500 मेट्रिक टन और अनाज भेजने का भी वादा किया गया है।
जैन संस्था की इस जीव दया को देखकर भारत सरकार भी आगे आई है और लगभग 2000 मेट्रिक टन अनाज भारत सरकार द्वारा नामीबिया भेजा जाएगा। इस उत्कृष्ट कार्य की सराहना करते हुए गुजरात के माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल ने तपोवन जैन संस्था की अनुमोदना की है और उन्हें इस कार्य में पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन भी दिया है।