मनोज कुमार मछवारा: कश्यप सन्देश, उत्तर प्रदेश
नई दिल्ली के तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में आज राष्ट्रीय सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन का आयोजन आदिवासी कश्यप कहार निषाद भोई समन्वय समिति और भारत के 151 सामाजिक संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस सम्मेलन में आदिवासी और निषाद समुदाय की समस्याओं, उनके अधिकारों और आरक्षण के मुद्दों पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय राज्य मंत्री, जल शक्ति मंत्रालय के माननीय राज भूषण चौधरी निषाद उपस्थित थे। उनके साथ विशिष्ट अतिथियों में माननीय श्री बाबूराम निषाद, राज्यसभा सदस्य, असम प्रदेश से सांसद श्री कृपानाथ मल्लाह, उत्तर प्रदेश सरकार के पिछड़ा वर्ग राज्य मंत्री माननीय नरेंद्र कश्यप और नेशनल एसोसिएशन ऑफ फिशरमेन के राष्ट्रीय महासचिव पूर्व विधायक रामकुमार एडवोकेट, कैलाश नाथ निषाद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शामिल थे।
झारखंड से श्री सरजू प्रसाद केवट, छत्तीसगढ़ से विधायक श्री कुंवर सिंह निषाद, मथुरा से राष्ट्रीय संत गोपाल दास गिरी, तथा अन्य कई प्रमुख नेता और प्रतिनिधि भी इस सम्मेलन में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन बाबा मार्तांडेय सिंह मांझी और नीरज कश्यप ने किया।
सम्मेलन में मुख्य अतिथि राज भूषण चौधरी निषाद ने कहा कि समाज को उसके अधिकार मांगने से नहीं, बल्कि शिक्षा प्राप्त करके जबरदस्ती छीनने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज की समस्याओं और सत्ता में भागीदारी के संबंध में जो ज्ञापन तैयार किया गया है, उसे प्रधानमंत्री को सौंपकर समाज की मांगों को रखने का कार्य करेंगे।
माननीय बाबूराम निषाद ने कहा कि आज समाज के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता एकजुट होकर आदिवासी और निषाद समुदाय के हितों के लिए कार्य करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सभी वरिष्ठ नेताओं का यह कर्तव्य है कि वे समाज को संगठित करें और उन्हें उनके हक और अधिकार दिलाने के लिए निरंतर प्रयास करें।
सम्मेलन में 25 राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी ने एकमत से यह संकल्प लिया कि वे मिलकर समाज की समस्याओं को हल करेंगे और आदिवासी कश्यप, कहार, निषाद समुदाय की सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित करेंगे। कार्यक्रम के संस्थापक अध्यक्ष श्री राजाराम कश्यप ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया और समाज की एकजुटता पर जोर दिया।
यह सम्मेलन आदिवासी और निषाद समुदाय के बीच एक नई चेतना और जागरूकता का संदेश लेकर संपन्न हुआ, जिसमें राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों के लिए संघर्ष को और मजबूती देने का आह्वान किया गया।