एकादशी के दिन सुबह संकल्प लेने के बाद यदि संभव हो तो पीले रंग का वस्त्र पहन लें और भगवान श्री हरि विष्णु की फोटो या प्रतिमा की सफाई करके उन पर गंगाजल का छिड़काव करें “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करते हुए ताकि सांकेतिक रूप से भगवान का स्नान हो जाए फिर उन्हें पुष्प से सुसज्जित करना है तथा भगवान विष्णु को हो सके तो पीले पुष्प का माला पहनना चाहिए फिर भोग अर्पण करना चाहिए यदि पीले रंग का फल, ड्राई फ्रूट्स आदि हो तो उसे भोग के रूप में अर्पण करना चाहिए जैसे केला आदि । यदि उपलब्ध न हो तो जो आपके पास है। यदि मिश्री भी उपलब्ध हो तो उसके साथ तुलसी का पत्ता साथ में अर्पण करें। यदि मिश्री भी उपलब्ध न हो तो सिर्फ तुलसी का पत्ता ही भोग के रूप में भगवान श्री हरि विष्णु महाराज को अर्पण खुशी-खुशी कर सकते हैं। साथ में यदि चना अमृत बनाकर भगवान को अर्पण किया जाए तो अच्छा होगा। उसके साथ कुछ दक्षिणा अपनी समर्थ के अनुसार वहां रखना चाहिए। फिर सूती धागा तोड़कर सभी भगवान को अर्पण करना चाहिए यह सांकेतिक रूप से वस्त्र का भगवान को अर्पण करना होता है।
उसके बाद धूप बत्ती तथा घी का दीपक नहीं तो तिल के तेल का दीपक जलाकर क्रमशः उनका अभिषेक करना चाहिए। फिर आसन पर बैठकर जिस भी एकादशी का पूजन कर रहे हैं जैसे पुत्रदा एकादशी का व्रत कर रहे हैं तो पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा मोबाइल से सुन ले या एकादशी व्रत कथा किताब से पढ़ लें। फिर 108 बार ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करें तथा भगवत गीता का पाठ बैठकर जितना हो सके पढ़ें फिर उसके बाद भगवान विष्णु की आरती करनी चाहिए आरती के बाद एक दीपक अपने पितरों के नाम से तथा एक दीपक तुलसी जी के पास जलाना चाहिए।