एकादशी व्रत मुख्यतः तीन दिन का होता है, जिसमें पहला दिन दशमी तिथि का सूर्यास्त होता है, दूसरा दिन एकादशी का सूर्योदय, और तीसरा दिन पारण का होता है। इस व्रत के दौरान हमें अपने घर और बाहर के व्यक्तियों के साथ अच्छे व्यवहार करना चाहिए, ताकि किसी को ऐसा न लगे कि हमने उनका तिरस्कार किया है। इन तीन दिनों में लहसुन, प्याज आदि का सेवन नहीं किया जाता और किसी दूसरे के यहां कुछ खाना-पीना भी वर्जित होता है। ना ही किसी की बुराई या शिकायत करनी चाहिए और ना सुननी चाहिए।
दशमी की शाम को दांत और मुंह को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए। डूबते हुए सूर्य के साथ व्रत प्रारंभ हो जाता है। एकादशी के दिन सुबह यदि संभव हो तो नहाने के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करें। जो लोग प्रतिदिन पूजा पाठ करते हैं, वे इसे सामान्य रूप से करें। पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके, हाथ में जल और पुष्प लेकर संकल्प करते हुए यह बोला जाता है:
“हे परमपिता, हे विष्णु, हे विष्णु, हे विष्णु, मैं (अपना नाम…), गोत्र (….), स्थान (….), क्षेत्र (….), जिला (….), राज्य (….), देश भारत, अपने स्थल पर आज मैं श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी का यथासंभव निर्जला व्रत करने जा रहा हूं। यह व्रत मेरा सफलता पूर्वक पूर्ण हो, इसके लिए आप हमें आशीर्वाद प्रदान करें। हमारे सभी प्रकार के दैहिक, दैविक, वाचिक और भौतिक पाप नष्ट हों और हमारे मनोरथ सिद्ध हों। मेरी इच्छा है कि (अपनी इच्छा व्यक्त करें…)। हे परमपिता परमेश्वर, मैं न आपकी पूजा-पाठ जानता हूं, न मंत्र जानता हूं, न यंत्र जानता हूं, न वेद पाठ पढ़ना जानता हूं, न स्वाध्याय जानता हूं, न सत्संग जानता हूं, न क्रियाएं जानता हूं, न मुद्राएं जानता हूं, न आसन जानता हूं। मैं तो आपके द्वारा दी गई बुद्धि से यथा समय यथाशक्ति यह पुत्रदा एकादशी का व्रत कर रहा हूं। हे परमपिता परमेश्वर, इसमें कोई गलती हो तो क्षमा करें और मेरे द्वारा किए गए पुत्रदा एकादशी व्रत निर्विघ्न पूरा हो, ऐसा आशीर्वाद प्रदान करें और मुझ पर और मेरे परिवार पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें। मेरे और मेरे परिवार में सभी अरिष्ट, जरा पीड़ा, किसी भी प्रकार की कोई बाधाएं हो तो उनका निवारण करें। मेरे और मेरे परिवार के इस जन्म में और पहले के जन्म में यदि कोई पाप हुए हों तो उनका समूल निवारण कर दें। मेरे और मेरे परिवार की जन्म कुंडली में यदि किसी प्रकार की दुष्ट ग्रह की नजर पड़ रही हो तो उन्हें शांत कर दें। मेरे और मेरे परिवार की जन्म कुंडली में कोई गोचर दशा, अंतर दशा, विन्शोत्री दशा, मांगलिक दशा और कालसर्प दशा, किसी भी प्रकार की कोई दशा हो तो उनको समाप्त कर दें। मैं और मेरे परिवार में आयु, आरोग्य, ऐश्वर्य, धन-संपत्ति की वृद्धि करें और मेरे और मेरे परिवार पर, पशुओं पर और वाहन पर अपनी शुभ दृष्टि बनाए रखें। इसके लिए मैं इस पूजा का गणेश जी के साथ सभी देवताओं का संकल्प लेता हूं।”
शेष अगले अंक में…