ए. के. चौधरी की कलम से:
पितृ स्तोत्र हिंदी में
ओम श्री गणेशाय नमः। ओम श्री गुरुवे नमः। ओम नमो नारायणाय। ओम श्री कुलदेवतायै नमः।
*देवताओं को, पितरों को, महायोगियों को, स्वाहा को एवं स्वधा को सदा नमस्कार है।
*हम पितृ गणों के लिए जगत की पालन करने वाली को जानते हैं और हम उन्हें ध्यान में रखते हैं। हमें पितृ देवता हमें जीवन के कार्यों में सफलता के लिए प्रेरित करें।
- जो सबके द्वारा पूजित,अमूर्त अत्यंत तेजस्वी ध्यानी तथा दिव्य दृष्टि संपन्न हैं उन पितरों को मैं सदा नमस्कार करता हूं।
- जो इंद्र आदि देवताओं,दक्ष, मारीच सप्तर्षियों तथा दूसरों के भी नेता हैं, कामना पूरी करने वाले उन सम समस्त पितरों को मैं प्रणाम करता हूं।
- जो मनु आदि राजर्षियों मुनीश्वरों तथा सूर्य और चंद्रमा के भी नायक हैं तथा जल और समुद्र में भी निवास करने वाले हैं उन समस्त पितरों को मैं नमस्कार करता हूं।
- नक्षत्र, ग्रहों, वायु, अग्नि, आकाश और द्युलोक तथा पृथ्वी के भी जो नेता हैं उन पितरों को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूं।
- जो देव ऋषियों के जन्मदाता समस्त लोगों द्वारा वंदित तथा सदा अक्षय पाल के दाता हैं, उन पितरों को हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूं।
- प्रजापति, कश्यप, सोम, वरुण तथा योगेश्वरों के रूप में स्थित पितरों को मैं सदा हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूं।
- सात लोगों में स्थित सात पितृ गणों को नमस्कार है, मैं योग दृष्टि संपन्न स्वयंभू ब्रह्मा जी को प्रणाम करता हूं।
- चंद्रमा के आधार पर प्रतिष्ठित तथा योग मूर्ति धारी पितृगणों को मैं प्रणाम करता हूं साथ ही संपूर्ण जगत के पिता सोम को नमस्कार करता हूं।
- तथा अग्नि स्वरूप अन्य पितरों को भी प्रणाम करता हूं क्योंकि यह संपूर्ण जगत अग्नि और सोम मय है।
- जो पितर तेज में स्थित है जो इन चंद्रमा सूर्य और अग्नि में विद्यमान हैं जो पितर जगत स्वरूप एवं ब्रह्म स्वरूप हैं उन संपूर्ण योगी पितरों को मैं एकाग्रचित होकर प्रणाम करता हूं।
- उन्हें बारंबार नमस्कार है वह स्वधा भोगी पितर मुझ पर प्रसन्न हों।