कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संसद में उनके द्वारा की गई टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटाए जाने पर लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि उनके विचार संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ नहीं थे और इस तरह की कार्रवाई अस्वीकार्य है।
राहुल गांधी ने अपने पत्र में लिखा, “मेरी टिप्पणियों को हटाना संसदीय लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। यह सांसदों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है और लोकतंत्र के लिए हानिकारक है।”
राहुल गांधी का कहना है कि उन्होंने सदन में जो भी बातें कहीं, वे देश की जनता की चिंताओं और मुद्दों को उठाने के लिए थीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके शब्द संसद के नियमों और परंपराओं के दायरे में थे और उनका उद्देश्य किसी भी तरह से सदन या किसी व्यक्ति का अपमान करना नहीं था।
उन्होंने कहा, “मेरे शब्दों का उद्देश्य केवल जनता की आवाज को सदन में पहुंचाना था। इसे रिकॉर्ड से हटाना लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ है।”
राहुल गांधी ने स्पीकर से आग्रह किया कि वे उनके बयानों को पुनः रिकॉर्ड में शामिल करें और यह सुनिश्चित करें कि सांसदों को बिना किसी डर या दबाव के अपनी बात कहने का अवसर मिले। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सच्ची भावना तभी जीवित रह सकती है जब सभी सांसद बिना किसी बाधा के अपनी बात रख सकें।
राहुल गांधी का यह कदम संसद में उनके विरोधियों के साथ तीखी बहस के बाद आया है। यह देखते हुए कि उनके बयानों को रिकॉर्ड से हटाने का निर्णय लिया गया, उन्होंने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है। अब देखना होगा कि स्पीकर इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।