नई दिल्ली, 30 जून 2024 – राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज ‘हूल दिवस’ के अवसर पर संथाल विद्रोह के सभी अमर सेनानियों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर राष्ट्रपति मुर्मू ने संथाल विद्रोह के सेनानियों के साहस और बलिदान को याद किया और कहा कि उनका संघर्ष भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संदेश में कहा, “संथाल विद्रोह 1855 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ हुआ एक प्रमुख आंदोलन था, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस विद्रोह ने हमें एकता, साहस और न्याय के लिए लड़ने की प्रेरणा दी है। हम सभी को इन वीर सेनानियों की शहादत को सदैव स्मरण रखना चाहिए।”
संथाल विद्रोह, जिसे ‘हूल विद्रोह’ के नाम से भी जाना जाता है, 1855-1856 में संथाल आदिवासियों द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अत्याचारों के खिलाफ छेड़ा गया था। इस विद्रोह का नेतृत्व सिद्धो-कान्हू और चांद-भैरव जैसे वीर सेनानियों ने किया था। उनका बलिदान और संघर्ष भारतीय इतिहास में हमेशा अमर रहेगा।
राष्ट्रपति मुर्मू ने इस अवसर पर संथाल समाज के उत्थान और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, “हमें संथाल समाज के विकास और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। यही हमारे वीर सेनानियों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”
राष्ट्रपति मुर्मू के इस संदेश ने संथाल विद्रोह के वीर सेनानियों को सम्मानित करते हुए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इस महत्वपूर्ण अध्याय को फिर से जीवित कर दिया है।