कश्यप सन्देश

प्रतियोगी परीक्षाओं में अनियमितताओं के दोषियों को अधिकतम 10 साल की जेल और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं में अनियमितताओं और कदाचार को रोकने के लिए एक कड़ा कानून लागू किया है। इस कानून के तहत दोषियों को अधिकतम 10 साल की जेल और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। कार्मिक मंत्रालय ने आधिकारिक गजट में प्रकाशित एक अधिसूचना में कहा कि कानून के प्रावधान आज से लागू होंगे।

सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024, 6 फरवरी को लोकसभा और 9 फरवरी को राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 12 फरवरी को इस विधेयक को मंजूरी दी, जिससे यह कानून बन गया।

यह अधिनियम संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA), रेलवे भर्ती बोर्ड और बैंकिंग भर्ती परीक्षा निकायों द्वारा आयोजित सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों को रोकने का लक्ष्य रखता है। कानून में नकल रोकने के लिए तीन से पांच साल की न्यूनतम सजा का प्रावधान है, और संगठित नकल के अपराधों में शामिल लोगों को पांच से 10 साल की जेल और न्यूनतम 1 करोड़ रुपये का जुर्माना भुगतना पड़ेगा।

कानून का उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को सुनिश्चित करना है। मंत्रालय ने कहा कि इस कानून के प्रभावी क्रियान्वयन से परीक्षाओं में होने वाले कदाचार पर प्रभावी अंकुश लगेगा और योग्य उम्मीदवारों के भविष्य को सुरक्षित बनाया जा सकेगा।

कानून के प्रावधानों के तहत, परीक्षार्थियों और परीक्षा आयोजित करने वाले संस्थानों को कड़े सुरक्षा उपाय अपनाने होंगे, ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता को रोका जा सके और परीक्षा प्रक्रिया की पवित्रता बनी रहे।

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