पटना, 21 जून 2024: पटना उच्च न्यायालय ने आज बिहार में 65% जाति आरक्षण के खिलाफ आदेश जारी किया है। यह आदेश राज्य सरकार के आरक्षण नीति के संदर्भ में है, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा को 65% तक बढ़ाया गया था।
मुख्य न्यायाधीश रंजन सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की नीति को असंवैधानिक करार दिया। अदालत ने कहा कि आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% होनी चाहिए, जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने पिछले फैसलों में निर्धारित किया है।
इस फैसले के बाद राज्य सरकार की आरक्षण नीति पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह आरक्षण की सीमा को 50% तक लाने के लिए तत्काल कदम उठाए।
राज्य सरकार ने इस आदेश पर निराशा व्यक्त की है और कहा है कि वह सर्वोच्च न्यायालय में अपील करेगी। राज्य के सामाजिक न्याय मंत्री राकेश यादव ने कहा, “हमारा उद्देश्य समाज के सभी वर्गों को न्याय दिलाना है। हम अदालत के आदेश का सम्मान करते हैं, लेकिन हम सर्वोच्च न्यायालय में न्याय के लिए अपील करेंगे।”
इस फैसले के बाद राजनीतिक और सामाजिक संगठनों में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने इसे राज्य सरकार की असफलता के रूप में पेश किया है, जबकि सामाजिक संगठनों ने आरक्षण नीति के पक्ष में सड़कों पर उतरने का ऐलान किया है।
इस आदेश के प्रभाव से राज्य में सामाजिक और राजनीतिक स्थिति में महत्वपूर्ण परिवर्तन आने की संभावना है।