राजगीर, बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय के नवनिर्मित परिसर का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे विश्व के समक्ष भारतीय पहचान और परंपराओं का उत्कृष्ट उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्जागरण उभरते भारत की क्षमता और शक्ति का प्रतीक है। श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार प्राचीन परंपराओं की भावना पर काम कर रही है, जिससे हम विकास और पर्यावरण संरक्षण को साथ-साथ बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को भी इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि उनकी सरकार भारत को शिक्षा क्षेत्र में एक नई पहचान देकर उसे एक बड़े ज्ञान केंद्र के रूप में पुनः स्थापित करने का प्रयास कर रही है। इस अवसर पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि वे एक वैश्विक शिक्षा पुल के पुनरुद्धार के साक्षी बन रहे हैं, जो पहले से भी अधिक दूर तक संबंध बना सकता है। शिक्षा, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण अंतर्राष्ट्रीय समझ को बढ़ावा देने के सबसे प्रभावी तरीके हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्राचीन विश्वविद्यालय के इतिहास की सराहना करते हुए कहा, “नालंदा विश्वविद्यालय का एक गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। प्राचीन काल में नालंदा विश्वविद्यालय शिक्षा का केंद्र माना जाता था।” प्रधानमंत्री ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों का भी दौरा किया, जिसे विश्व धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त है।
इस अवसर पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर, बिहार के राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा सहित अन्य प्रतिनिधि उपस्थित थे। 17 देशों के राजदूतों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया।
प्राचीन नालंदा के खंडहरों में एक मठ और शैक्षणिक संस्थान के पुरातात्विक अवशेष शामिल हैं, जिसमें स्तूप, मंदिर, विहार (आवासीय और शैक्षणिक भवन) और महत्वपूर्ण कला कार्य शामिल हैं।