कानपुर एकजुलाई से आईपीसी अब भारतीय न्याय संहिता कहलाएगी इसके तहत ज्यादा अपराध की धाराएं बदल गई हैं थानों में एफआईआर में एक जुलाई से आईपीसी लागू नहीं होगी। उसे भारतीय न्याय संहिता बीएनएस के तौर पर जाना जाएगा। बीएनएस की ट्रेनिंग पुलिस और उसकी अन्य टीम यूनिट में शुरू कर दी गई है वहीं अभियोजन को ट्रेनिंग दिलाने की जिम्मेदारी जॉइंट डायरेक्टर प्रॉजिक्यूशन को सौंप गई है बीएनएस के तहत हत्या लूट डकैती रेप छेड़खानी आदि धाराओं में तब्दीली हो जाएगी पुलिस को ट्रेनिंग देने की जिम्मेदारी हेड क्वार्टर ट्रेनिंग को सौंप गई है। अडिशनल सीपी हेडक्वार्टर व क्राइम विपिन कुमार मिश्रा ने बताया कि हेड क्वार्टर ट्रेनिंग की तरफ से आईपीसी और बीएनएस के तुलनात्मक बुकलेट बनाई गई है 16 जून से हेड क्वार्टर ट्रेनिंग की तरफ से विशेषज्ञ सभी जिलों में जाएंगे उसमें पुलिस कर्मियों को ग्रुप में बांटा जाएगा और वह बीएनएस को लेकर ट्रेनिंग देंगे। इसी तरह बुधवार को सीबीसीआईडी डीजी ने पूरे प्रदेश में एक बड़ी बैठक बुलाई है जिसमें अभियोजन की वरिष्ठ वकील सीबीसीआईडी के अफसअफसरों को बीएनएस के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे हर पुलिसकर्मी को बुकलेट मिलेगी।
आईपीसी एक जुलाई से कई धाराएं होगी दफा तब्दील हो जायेंगीं
अब ऐसी होगी धाराएं आईपीसी व भारतीय न्याय संहिता बीएनएस भारतीय न्याय संहिता आई पी सी -----------बीएनएस
302 हत्या नया 103
307 हत्या का प्रयास-109
323 मारपीट-115,
354 छेड़ छाड़-, 74
354 ए शारीरिक स्पर्श और अश्लीलता के आरोप -75
354 बी शारीरिक संपर्क और आगे बढ़ना -76,
354 सी ताक झांक करना- 77,
354 डी पीछा करना -78,
363 नाबालिग का अपहरण
करना -139,
376 रेप करना -64,
392 लूटकरना -309,
420 धोखाधड़ी -318,
506 जान से मारने की धमकी देना -351,
304 ए अपेक्षा द्वारा मृत्यु कारित
करना -106,
304 बी दहेज हत्या -80,
306 आत्महत्या के लिए उकसाना -108,
309 आत्महत्या का प्रयास करना_ 226,
286 विस्फोटक पदार्थ के बारे में अपेक्षापूर्ण आचरण_ 287,
294 गाली देना या गलत इशारे करना -296,
509 लज्जा भंग करना -79,
324 जानबूझकर चोट पहुंचाना- 118 (1),
325 गंभीर चोट पहुंचाना -118(2),
326 आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छ पूर्ण कारित करना -118(3),
353 लोक सेवक को डरा कर रोकना -121,
336 दूसरे के जीवन को खतरा पहुंचाना -125,
337 मानव जीवन को खतरे वाली चोट पहुंचाना -112 (A),
338 मानव जीवन को खतरे वाली गंभीर चोट देना-125 बी,
341 किसी को जबरन रोकना- 126,
284 विषैला पदार्थ के संबंध में उपेक्षापूर्ण आचरण -286,
290 अन्यथाअनुबंधित मामलों में लोक बाधा दंड -292,
447 अपराधिक अतिचार- 329(3)
448 गृह अतिचार के लिए दंड- 329(4)
382 चोरी के लिए मृत्यु क्षति- 304,
494 दूसरा विवाह करना -82,
498 पति या उसके रिश्तेदार द्वारा क्रूरता – 85,
302 अब हत्या की धारा नहीं अब 103 होगी, और हत्या का प्रयास 307 नहीं अब 109 होगी ,तथा तीन धाराएं एक में ही समाहित की गई है आईपीसी में धारा 442 गृह अतिचार, 445 गृह भेदन, और 447 आपराधिक अतिचार के लिए दंड को भारतीय न्याय संहिता में एक ही धारा 330 बीएनएस में समाहित किया गया है
1 जुलाई से आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता में दर्ज होंगे कैसे 16 जून से हेड क्वार्टर ट्रेनिंग की तरफ से विशेषज्ञ सभी जिलों में जाएंगे और इन भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की दफाओं की ट्रेनिंग देंगे।