मुख्यमंत्री की घुड़की भी भाजपा की अंतरकलह को ना रोक पाई।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं प्रधानमंत्री मोदी जी की चेतावनी के बावजूद भी विरोध करने वालों का रवैया नहीं बदला।
फतेहपुर जनपद की दो बार से भारी बहुमत से निर्वाचित सांसद साध्वी निरंजन ज्योति केंद्रीय मंत्री भारत सरकार का टिकट घोषित होते समय भाजपा के पक्ष में एक तरफा माहौल था! आखिर मतदान के समय भारी संघर्ष में कैसे बदल गया?
फतेहपुर जनपद में उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में भितरघाती पहुंचकर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई हो? लेकिन मतदान के दिन तक बैठक कर जिला पंचायत सदस्यों, प्रधानों, ब्लॉक प्रमुखो, और अपने समर्थकों को प्रत्याशी के खिलाफ बैठक कर इण्टरनेट द्बारा संदेश भेज कर हराने का प्रयास जारी रहा!
चुनाव प्रचार के दौरान एक दिन भी कोई चेहरा जनता के बीच नहीं गया! मतदान के बाद पार्टी को कई ऐसे चेहरे भीतर घातियों की सूची में दिखे।
जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री/ पूर्व विधायक, सदर के पूर्व विधायक, विन्दकी के पूर्व विधायक, सहयोगी दल के पूर्व मंत्री/विधायक व अमौली देवमई खजुहा के ब्लॉक प्रमुख जिला पंचायत सदस्य यहां तक की जनपद फतेहपुर के प्रभारी व कैबिनेट मंत्री भी केंद्रीय मंत्री को धूल चटाने के लिए अंत तक साजिश रचते रहे?
और उक्त लोगों की प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री राष्ट्रीय अध्यक्ष से शिकायत करने के बावजूद भी न मानना एक सोचनीय विषय है? दूसरी तरफ संगठन के जिला अध्यक्ष भी हराने में उक्त लोगों के साथ गलवाहिया डालें घूमते रहे! जिसका असर यह हुआ की मंडल अध्यक्ष व संगठन निष्क्रिय हो गया! जिसका परिणाम हार के रूप में निकला।
अपने ही समाज के लोगों के ऊपर थाने में बैठकर मुकदमा लिखवाना भी एक कारण हो सकता है
संगठन को गलत फीडबैक जिला अध्यक्ष दे रहे थे! वहीं ग्राउंड लेवल के कार्यकर्ता ऊपर तक सूचना दे रहे थे! लेकिन उसे सुना नहीं जा रहा था! बीच वाले दलाल किस्म के लोग जो भाजपा संगठन में पैरासाइट की तरह चिपके हुए हैं? जो भाजपा का खून चूस रहे हैं? वह दिन-रात गणेश परिक्रमा करके गलत सूचना दे रहे थे! संगठन के चट्टे-बट्टे दलित वोट शिफ्ट हो गया, राम मंदिर का मुद्दा नहीं चल रहा है? लेकिन दलित वोट शिफ्ट हो रहा है उसकी सूचना ऊपर तक नहीं दी गई! छोटे कार्यकर्ताओं को प्रोटोकॉल के नाम पर डराया धमकाया जाता रहा। सभी योगी मोदी के भरोसे थे कि हमें बीजेपी में पद दे दो! और कुछ पैसा दे दो! बाकी तो योगी मोदी जीता देंगे! जिला नेतृत्व साजिश के तहत ऊपर के नेतृत्व को रिपोर्ट देते थे! कि यहां सब ठीक है! उक्त लोगों को पार्टी के अंदर साध्वी जी की लोकप्रियता बर्दाश्त नहीं हो रही थी!
संगठन के लोग अहंकार में डूबे हुए थे! जो नवनियुक्त जिला अध्यक्ष अपनी बिरादरी का वोट नहीं रोक सके! जो सपा में चला गया! जिला अध्यक्ष द्वारा मनोनीत किए गए मंडल अध्यक्षों से पैसा लेकर नियुक्ति करना भी चुनाव मे चर्चा का विषय बना रहा! चुनाव दौरान भाजपा में दूसरे दलों से आए नेताओं से पार्टी ने भले ही अपना कुनबा बढ़ाया हो! लेकिन वह भीतर घातियों की पूर्ति नहीं कर सके!
भीतरघातियों की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सूची तैयार कर ली है! वहीं प्रत्याशी साध्वी निरंजन ज्योति ने भी भीतरघातियों की सूची तैयार कर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक पहुंच कर कार्यवाही की मांग की है! अब इंतजार करिये कि आखिर इन भीतर घातियों पर क्या कार्रवाई होती है?यदि नही तो 2027 की कटकथा लिखी जा चुकी है।