पुणे के ससून जनरल अस्पताल के दो वरिष्ठ डॉक्टरों, डॉ. अजय तावरे और डॉ. श्रीहरी हालनोर को महाराष्ट्र सरकार ने विभिन्न आरोपों के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इन पर 19 मई को हुई पोर्शे कार दुर्घटना के नाबालिग आरोपी के रक्त नमूनों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप है। अस्पताल के डीन डॉ. विनायक काले को अनिवार्य अवकाश पर भेज दिया गया है।
डॉक्टरों के खिलाफ यह कार्रवाई एक विशेष तीन सदस्यीय चिकित्सा पैनल द्वारा दो दिवसीय जांच के बाद की गई। पैनल की अध्यक्षता डॉ. पल्लवी सपले कर रही थीं। जांच में यह पाया गया कि डॉक्टरों ने आरोपी के रक्त नमूने में हेराफेरी की थी और उसकी रक्त रिपोर्ट बदल दी थी।
वर्तमान में पुलिस हिरासत में रह रहे दोनों डॉक्टरों को 31 मई तक किसी भी निजी नौकरी को स्वीकार करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है। पुलिस जांच में यह सामने आया है कि डॉ. तावरे और डॉ. हालनोर ने आरोपी के रक्त नमूने को कचरे में फेंक दिया और किसी अन्य व्यक्ति का रक्त नमूना लेकर रिपोर्ट जमा की। इस प्रकार उन्होंने 17 वर्षीय आरोपी को निर्दोष साबित करने का प्रयास किया।
इस घटना ने चिकित्सा क्षेत्र में नैतिकता और कानून का गंभीर उल्लंघन उजागर किया है, जिससे सार्वजनिक विश्वास में कमी आ सकती है। सरकार और जांच एजेंसियां इस मामले में आगे की जांच कर रही हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।