कश्यप सन्देश

कहार

उत्तर प्रदेश में गोंड और माझावर जाति के प्रमाण पत्र का मछुआ समुदाय पर प्रभाव: मनोज कुमार मछवारा

उत्तर प्रदेश में गोंड और माझावर जाति के प्रमाण पत्र का मछुआ समुदाय पर प्रभाव: मनोज कुमार मछवारा

फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) के ग्राम लहंगी में भारतीय वंचित समाज पार्टी के राष्ट्रीय सचिव मनोज कुमार मछवारा ने अपने समुदाय के बीच सभा में मछुआ समुदाय के हक और उनकी पहचान से जुड़ी एक गंभीर समस्या पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में गोंड और माझावर जाति को अनुसूचित जाति का प्रमाण […]

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मल्लाह जाति: अपराधी जनजातियों का कलंक और पहचान की तलाश: मनोज कुमार मछवारा की कलम से

मल्लाह जाति: अपराधी जनजातियों का कलंक और पहचान की तलाश: मनोज कुमार मछवारा की कलम से

मल्लाह जाति का इतिहास एक संघर्ष और अस्तित्व की कहानी है। प्रोफेसर हेनरी श्वार्ज़ के अनुसार, भारतीय समाज में यह धारणा गहराई से जमी हुई थी कि अपराध वंशानुगत होता है, और इस आधार पर मल्लाह जैसी जातियों को अपराधी मानकर उनके पूरे समुदाय को दोषी ठहराया जाता था। 1772 में वॉरेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल

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राष्ट्रीय सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन मेंआदिवासी कश्यप कहार निषाद समुदाय की एकजुटता पर जोर

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मनोज कुमार मछवारा: कश्यप सन्देश, उत्तर प्रदेश नई दिल्ली के तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में आज राष्ट्रीय सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन का आयोजन आदिवासी कश्यप कहार निषाद भोई समन्वय समिति और भारत के 151 सामाजिक संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस सम्मेलन में आदिवासी और निषाद समुदाय की समस्याओं, उनके अधिकारों और आरक्षण के मुद्दों

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मनोज कुमार मछवारा की कलम से

धुरिया उपजाति की उत्पत्ति के बारे में कहानी:मनोज कुमार मछवारा की कलम से

बिहार के कहार अपना वंशज जरासंध से बताते हैं, जो मगध का राजा था। यह कहानी जनरल कनिंघम द्वारा इस प्रकार बताई गई है: जब जरासंध राजा था, उसने गया के गिरियक पहाड़ी पर एक मीनार बनाई थी जो उसकी बैठने की जगह (बैठक) थी; यहाँ वह बैठकर पांचीना के पानी में अपने पैर धोता

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अखिल भारतीय आदिवासी कश्यप कहार निषाद भोई का दो दिवसीय प्रांतीय सम्मेलन

अखिल भारतीय आदिवासी कश्यप कहार निषाद भोई का दो दिवसीय प्रांतीय सम्मेलन

नवी मुंबई, 13-14 जुलाई: अखिल भारतीय आदिवासी कश्यप कहार निषाद भोई समन्वय समिति एवं सहयोगी संगठनों नेशनल एसोसिएशन ऑफ फिशरमेन और राष्ट्रीय निषाद संघ द्वारा नवी मुंबई में दो दिवसीय प्रांतीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण अधिवेशन में राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. जी. के. भांजी का भव्य स्वागत किया गया। सम्मेलन के पहले दिन

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