प्रेम बंसी बजाओ कन्हैया: राम सिंह कश्यप ‘राम’ की कलम से
फिर वो गीता सुनाओ कन्हैया, जिससे जग मोह निद्रा से जागे । प्रेम बंसी बजाओ सुरीली, गोपियां बनके संसार भागे। पंच तत्वों के तुम प्राण बनके, इंद्रिय रूपी गौवें चराते ।मन की माया का भाखन चुराते,कृष्ण गोपाल गोविंद कहाते। साथ छूटे न मोहन मुरारी,प्रीति ऐसी अमिट तुमसे लागे,फिर वो गीता सुनाओ कन्हैया, जिससे जग मोह […]
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