राजनीति का परिदृश्य: राम सिंह “राम” कश्यप की कलम से
राजनीति में राज बहुत है गहरे, लेकिन नीति नहीं होती,गठबंधन सत्ता से हो, तो सत्य से प्रीति नहीं होती। नारे दिन-रात देते रहते, रामराज हम लाएंगे,कब तक और कैसे आएगा, राज नहीं बताएंगे। जो संदेह से स्वयं ग्रसित हो, स्थिर नीति नहीं होती,नेता गण भोली जनता को, सब्ज़ बाग दिखलाते रहते। पंचशील के प्रबल पुजारी, […]
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