कश्यप सन्देश

ए. के. चौधरी

तरारी उपचुनाव: राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी के प्रत्याशी उपेंद्र साहनी ने किया जोरदार प्रचार

तरारी उपचुनाव: राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी के प्रत्याशी उपेंद्र साहनी ने किया जोरदार प्रचार

ए.के. चौधरी,प्रमुख ,बिहार ,’कश्यप संदेश दिनांक: 04 नवंबर 2024, तरारी विधानसभा उपचुनाव के प्रत्याशी उपेंद्र साहनी ने आज पिरो प्रखंड के विभिन्न गांवों का दौरा कर अपने चुनावी अभियान को गति दी। राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी के उम्मीदवार के रूप में श्री साहनी ने अपने झंडे और एजेंडे के प्रचार के दौरान गांव-गांव जाकर लोगों से […]

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राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र सहनी ने तरारी विधानसभा उपचुनाव के लिए भरा नामांकन

राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र सहनी ने तरारी विधानसभा उपचुनाव के लिए भरा नामांकन

ए. के. चौधरी, प्रमुख, बिहार , कश्यप संदेश तरारी, 24 अक्टूबर 2024: राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र सहनी ने आज 196 तरारी विधानसभा उपचुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया। इस अवसर पर उन्होंने आत्मविश्वास के साथ कहा कि उनकी जीत निश्चित है और अगर तरारी विधानसभा की जनता उन्हें विधायक बनने का

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सम्राट हिरण्यधनु और निषादों की गौरवगाथा:ए. के. चौधरी की कलम से

सम्राट हिरण्यधनु और निषादों की गौरवगाथा:ए. के. चौधरी की कलम से

श्रृंगवेरपुर राज्य पर निषादों का कब्जा था, और इस राज्य के निषाद धनुर्विद्या में प्रारंभ से ही माहिर माने जाते थे। उनके इस अद्वितीय कौशल के कारण कोई भी राजा या राज्य उनसे युद्ध करने से पहले कई बार सोचने पर मजबूर हो जाता था। इस राज्य के सेनापति, बलशाली और युद्धकला में निपुण हिरण्यधनु

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निषादों के वंशज राजा उत्तानपाद का पुत्र महान हरि भक्त ध्रुव: ए. के. चौधरी की कलम से

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निषाद वंश के राजा उत्तानपाद, श्री स्वयंभू मनु और माता शतरूपा के पुत्र थे। अयोध्या नगरी के राजा उत्तानपाद की दो पत्नियां थीं—सुनीति और सुरुचि। सुनीति का पुत्र ध्रुव और सुरुचि का पुत्र उत्तम था। एक दिन ध्रुव खेलते-खेलते अपने पिता की गोद में बैठ गया। तभी उसकी सौतेली मां, रानी सुरुचि ने उसे गोद

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निषादों का गौरव: महर्षि वेदव्यास : ए. के. चौधरी की कलम से

निषादों का गौरव: महर्षि वेदव्यास : ए. के. चौधरी की कलम से

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि वेदव्यास का जन्म निषाद कुल में हुआ था, जो उनके महान व्यक्तित्व और कृतित्व को और भी गरिमा प्रदान करता है। महर्षि वेदव्यास की माता सत्यवती निषाद कन्या थीं, और उनके पिता महर्षि पराशर थे। इस तरह महर्षि वेदव्यास का जीवन और कृतित्व न केवल निषादों के लिए गर्व का

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निषादों का गौरव: राजा हिरण्यकश्यप :ए. के. चौधरी की कलम से

निषादों का गौरव: राजा हिरण्यकश्यप :ए. के. चौधरी की कलम से

सतयुग में हिरण्यकश्यप नामक एक अती पराक्रमी और शक्तिशाली दैत्य राजा का जन्म हुआ था। उसका जन्म महर्षि कश्यप और दिति के कुल में हुआ था। हिरण्यकश्यप को भगवान ब्रह्मा से एक विचित्र वरदान प्राप्त हुआ था, जिसके कारण उसे अमरता का आभास हो गया था। इस वरदान की वजह से स्वयं नारायण को मृत्यु

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जन्माष्टमी: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का महत्व : ए. के. चौधरी की कलम से

जन्माष्टमी: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का महत्व : ए. के. चौधरी की कलम से

जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे सनातन धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग के अंत में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को, जब रोहिणी नक्षत्र का संयोग हुआ, तब भगवान विष्णु ने अपने 10 अवतारों में

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जुब्बा सहनी: अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बलिदान की अनकही दास्तान :ए. के. चौधरी की कलम से

जुब्बा सहनी: अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बलिदान की अनकही दास्तान :ए. के. चौधरी की कलम से

भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान जुब्बा साहनी ने 16 अगस्त 1942 को मीनापुर थाने के अंग्रेज इंचार्ज लियो वालर को आग में जिंदा झोंक दिया था। बाद में पकड़े जाने पर उन्हें 11 मार्च 1944 को फांसी दे दी गयी। उनके नाम पर मुजफ्फरपुर शहर में जुब्बा साहनी खेल स्टेडियम तथा पार्क बना है जो

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एकादशी व्रत: भाग-5(अन्तिम): ए. के. चौधरी की कलम से

एकादशी व्रत: भाग-5(अन्तिम): ए. के. चौधरी की कलम से

फिर शाम को सूर्यास्त के समय फिर आरती करें तथा धूप दिखाएं उसके बाद एक दीपक भगवान विष्णु के पास, एक अपने पितृ के पास तथा एक दीपक धूप तुलसी जी के पास अवश्य जलाना चाहिए शाम के समय तुलसी जी के पास दीपक जलाकर उनकी कम से कम सात बार परिक्रमा करना चाहिए तथा

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निषादों का गौरव: सम्राट कृष्णदेव राय:ए. के. चौधरी की कलम से

निषादों का गौरव: सम्राट कृष्णदेव राय:ए. के. चौधरी की कलम से

निषाद वंशी सम्राट कृष्णदेव राय, विजयनगर साम्राज्य के सबसे महान शासकों में से एक माने जाते हैं। उनका जन्म 16 फरवरी 1471 ईस्वी में हुआ था और उन्होंने 1509 से 1529 ईस्वी तक सफलतापूर्वक शासन किया। विजयनगर साम्राज्य, जो 1350 ईस्वी से 1565 ईस्वी तक फला-फूला, कृष्णदेव राय के शासनकाल में अपनी शक्ति और वैभव

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