कश्यप सन्देश

22 February 2025

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नव सवेरा: नई मुस्कानें : कवि रामसिंह कश्यप 'राम' की कलम से

नव वर्ष की नव शुभकामनाएं : कवि रामसिंह कश्यप ‘राम’ की कलम से

नव वर्ष की नव शुभकामनाएंहम भी हँसे, आप भी मुस्कुराएं।नवोदय अरुण की नवल रश्मियां हैं,नए फूल हैं और नई पत्तियां हैं।नयी चल रही हैं बसंती हवाएं,हम भी हँसे, आप भी मुस्कुराएं। धरती ने फसलों का खोला है ख़ज़ाना,बुलबुल है गाती, नए ही तराने।नवेली दुल्हन सी सजी हैं दिशाएं,हम भी हँसे, आप भी मुस्कुराएं। जहां प्रेम-सचाई […]

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कश्यप संदेश: युवाओं के कौशल को निखारने का संकल्प

कश्यप संदेश: युवाओं के कौशल को निखारने का संकल्प

वर्ष 2025 में, कश्यप संदेश अपने पूर्वज, स्वर्गीय श्री सचिन नाग जी, के आदर्शों पर चलते हुए समाज के युवाओं के छिपे हुए कौशल को पहचानने और उन्हें प्रोत्साहित करने का एक आंदोलन शुरू कर रहा है। श्री सचिन नाग, वाराणसी, उत्तर प्रदेश के निवासी, ने 1951 में एशियन गेम्स में 100 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी

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बाबू बलदेव सिंह गौड़ का समाज के प्रति संदेश

बाबू बलदेव सिंह गौड़ का समाज के प्रति संदेश

इतिहास समाज के अनुभवों का ऐसा विश्वकोश है, जो हमें अतीत के संघर्षों, सफलताओं और असफलताओं का बोध कराते हुए उन्नति एवं रक्षा के मार्गों की दिशा दिखाता है। इतिहास का महत्व स्वतंत्रता के महत्व से किसी भी प्रकार कम नहीं है। स्वतंत्रता चाहे क्षणिक रूप से छिन भी जाए, परंतु इतिहास की रक्षा करना

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आदिवासी: सभ्यता के आदि निवासी :बाबू बलदेव सिंह गोंड की कलम से

आदिवासी: सभ्यता के आदि निवासी :बाबू बलदेव सिंह गौड की कलम से

“आदिवासी” शब्द दो भागों से मिलकर बना है: “आदि” और “वासी”। “आदि” का अर्थ है प्रारंभ, शुरुआत, या आदिकाल, और “वासी” का अर्थ है निवास करने वाला। इस प्रकार, “आदिवासी” का तात्पर्य उन लोगों से है जो किसी स्थान पर सबसे पहले निवास करने वाले हैं। वे वही मूल निवासी हैं, जिनके पूर्वजों ने आदिकाल

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कीर्ति : कवि रामसिंह कश्यप 'राम' की कलम से

कीर्ति : कवि रामसिंह कश्यप ‘राम’ की कलम से

जग से लोग चले जाते हैं, रह जाती तस्वीरें हैं।कर्मों से बनती मिटती, इंसानों की तकदीरे है। पूर्व जन्म के संस्कार से, होता जीवन का उद्भव,कोई भोग यानि है पाता, कोई बने महा मानव।कट जाती निष्काम कर्म से, जन्मों की जंजीरें हैं।जग से लोग चले जाते हैं, रह जाती तस्वीरें हैं। कीर्ति कामना किंचित कोई,

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राष्ट्रीय प्रेस दिवस: स्वतंत्रता और लोकतंत्र का प्रतीक:

राष्ट्रीय प्रेस दिवस: स्वतंत्रता और लोकतंत्र का प्रतीक:

भारत में हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो देश में समाचार मीडिया के लिए एक नियामक संस्था के तौर पर कार्य करती है। भारतीय प्रेस परिषद का उद्देश्य पत्रकारिता के उच्च नैतिक मानकों को बनाए रखना

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माझी मांझी: मध्यस्थता की परंपरा:बाबू बलदेव सिंह गौड की कलम से

माझी मांझी: मध्यस्थता की परंपरा: बाबू बलदेव सिंह गौड की कलम से

माझी या माझवर का संबोधन आदिवासी समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। ‘माझी’ शब्द का अर्थ ‘मध्यस्थ’ होता है, जो इस बात का संकेत है कि माझी लोग दो पक्षों के बीच मध्यस्थता करने वाले माने जाते थे। इनकी भूमिका को समझने के लिए हमें प्राचीन काल के सामाजिक ढांचे को समझना होगा,

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महर्षि वेदव्यास: त्रेता से कलियुग तक का अनमोल योगदान : रामसेवक निषाद की कलम से

महर्षि वेदव्यास: त्रेता से कलियुग तक का अनमोल योगदान : रामसेवक निषाद की कलम से

महर्षि वेदव्यास का जन्म त्रेता युग के अंत में हुआ और वे द्वापर युग का पूरा काल जीवित रहे। माना जाता है कि कलियुग के आरंभ में उन्होंने पृथ्वी का त्याग किया। महर्षि वेदव्यास की माता सत्यवती ने हस्तिनापुर के राजा शांतनु से विवाह किया था, जो भीष्म के पिता थे। इस प्रकार महर्षि वेदव्यास

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लालच बुरी बला है : कवि रामसिंह कश्यप 'राम' की कलम से

लालच बुरी बला है : कवि रामसिंह कश्यप ‘राम’ की कलम से

लालच बुरी बला है, लालच ना कीजिए,जो बात सच नहीं है, उसे सच ना कीजिए। सत्य शास्त्र का कहना, यही कहना है ग्रंथ का,मानव ना बन पुजारी कभी झूठ पथ का।रचना जो है दुखों की, उसे रच ना कीजिए,लालच बुरी बला है, लालच ना कीजिए। लालच की कथा से भरे इतिहास देखिए,लालच से होता शीघ्र

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सोंधिया (मछुआरों) का इतिहास और उत्पत्ति : बाबू बलदेव सिंह गौड़ की कलम से

सोंधिया (मछुआरों) का इतिहास और उत्पत्ति : बाबू बलदेव सिंह गौड़ की कलम से

मछुआरों की एक विशेष शाखा, जो आज समाज में “सोंधिया” नाम से जानी जाती है, अपने वंश को “सिंधिया” से जोड़कर देखती है। आमतौर पर इस समुदाय के लोग अपने गोत्र के आधार पर ही “सोंधिया” नाम का प्रयोग करते हैं। इस समुदाय के बुजुर्गों से बातचीत करने पर यह पता चलता है कि मूलतः

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