कश्यप सन्देश

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कीर्ति : कवि रामसिंह कश्यप 'राम' की कलम से

कीर्ति : कवि रामसिंह कश्यप ‘राम’ की कलम से

जग से लोग चले जाते हैं, रह जाती तस्वीरें हैं।कर्मों से बनती मिटती, इंसानों की तकदीरे है। पूर्व जन्म के संस्कार से, होता जीवन का उद्भव,कोई भोग यानि है पाता, कोई बने महा मानव।कट जाती निष्काम कर्म से, जन्मों की जंजीरें हैं।जग से लोग चले जाते हैं, रह जाती तस्वीरें हैं। कीर्ति कामना किंचित कोई, […]

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राष्ट्रीय प्रेस दिवस: स्वतंत्रता और लोकतंत्र का प्रतीक:

राष्ट्रीय प्रेस दिवस: स्वतंत्रता और लोकतंत्र का प्रतीक:

भारत में हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो देश में समाचार मीडिया के लिए एक नियामक संस्था के तौर पर कार्य करती है। भारतीय प्रेस परिषद का उद्देश्य पत्रकारिता के उच्च नैतिक मानकों को बनाए रखना

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माझी मांझी: मध्यस्थता की परंपरा:बाबू बलदेव सिंह गौड की कलम से

माझी मांझी: मध्यस्थता की परंपरा: बाबू बलदेव सिंह गौड की कलम से

माझी या माझवर का संबोधन आदिवासी समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। ‘माझी’ शब्द का अर्थ ‘मध्यस्थ’ होता है, जो इस बात का संकेत है कि माझी लोग दो पक्षों के बीच मध्यस्थता करने वाले माने जाते थे। इनकी भूमिका को समझने के लिए हमें प्राचीन काल के सामाजिक ढांचे को समझना होगा,

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महर्षि वेदव्यास: त्रेता से कलियुग तक का अनमोल योगदान : रामसेवक निषाद की कलम से

महर्षि वेदव्यास: त्रेता से कलियुग तक का अनमोल योगदान : रामसेवक निषाद की कलम से

महर्षि वेदव्यास का जन्म त्रेता युग के अंत में हुआ और वे द्वापर युग का पूरा काल जीवित रहे। माना जाता है कि कलियुग के आरंभ में उन्होंने पृथ्वी का त्याग किया। महर्षि वेदव्यास की माता सत्यवती ने हस्तिनापुर के राजा शांतनु से विवाह किया था, जो भीष्म के पिता थे। इस प्रकार महर्षि वेदव्यास

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लालच बुरी बला है : कवि रामसिंह कश्यप 'राम' की कलम से

लालच बुरी बला है : कवि रामसिंह कश्यप ‘राम’ की कलम से

लालच बुरी बला है, लालच ना कीजिए,जो बात सच नहीं है, उसे सच ना कीजिए। सत्य शास्त्र का कहना, यही कहना है ग्रंथ का,मानव ना बन पुजारी कभी झूठ पथ का।रचना जो है दुखों की, उसे रच ना कीजिए,लालच बुरी बला है, लालच ना कीजिए। लालच की कथा से भरे इतिहास देखिए,लालच से होता शीघ्र

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सोंधिया (मछुआरों) का इतिहास और उत्पत्ति : बाबू बलदेव सिंह गौड़ की कलम से

सोंधिया (मछुआरों) का इतिहास और उत्पत्ति : बाबू बलदेव सिंह गौड़ की कलम से

मछुआरों की एक विशेष शाखा, जो आज समाज में “सोंधिया” नाम से जानी जाती है, अपने वंश को “सिंधिया” से जोड़कर देखती है। आमतौर पर इस समुदाय के लोग अपने गोत्र के आधार पर ही “सोंधिया” नाम का प्रयोग करते हैं। इस समुदाय के बुजुर्गों से बातचीत करने पर यह पता चलता है कि मूलतः

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इतिहास: भीमा-कोरेगांव: 500 महार योद्धाओं की वीरता की कहानी: प्रवीण कश्यप, मेरठ की कलम से

इतिहास: भीमा-कोरेगांव: 500 महार योद्धाओं की वीरता की कहानी: प्रवीण कश्यप, मेरठ की कलम से

भीमा नदी के तट पर बसा कोरेगांव, पुणे, महाराष्ट्र की वह भूमि है, जहाँ 1 जनवरी 1818 का दिन इतिहास में एक निर्णायक मोड़ लेकर आया। उस ठंडे दिन, पेशवा बाजीराव द्वितीय की 28,000 सैनिकों की विशाल सेना का सामना करने के लिए केवल 500 महार योद्धा, बॉम्बे नेटिव लाइट इन्फेंट्री के साथ खड़े हुए

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दीपावली: प्रकाश से प्रेरणा : कश्यप सन्देश परिवार

दीपावली का पर्व हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का संदेश देता है। लेकिन क्या यह प्रकाश केवल हमारे घरों और आंगनों तक सीमित होना चाहिए? इस दीपावली पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने आसपास के समाज को भी इस उजाले से रोशन करेंगे। उन परिवारों तक पहुंचेंगे जो शिक्षा

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उत्तर प्रदेश में गोंड और माझावर जाति के प्रमाण पत्र का मछुआ समुदाय पर प्रभाव: मनोज कुमार मछवारा

उत्तर प्रदेश में गोंड और माझावर जाति के प्रमाण पत्र का मछुआ समुदाय पर प्रभाव: मनोज कुमार मछवारा

फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) के ग्राम लहंगी में भारतीय वंचित समाज पार्टी के राष्ट्रीय सचिव मनोज कुमार मछवारा ने अपने समुदाय के बीच सभा में मछुआ समुदाय के हक और उनकी पहचान से जुड़ी एक गंभीर समस्या पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में गोंड और माझावर जाति को अनुसूचित जाति का प्रमाण

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बात कुछ ऐसी करो : कवि रामसिंह कश्यप 'राम' की कलम से

बात कुछ ऐसी करो : कवि रामसिंह कश्यप ‘राम’ की कलम से

बात कुछ ऐसी करो जिससे बात बन जाए,बात ऐसी ना करो जिससे रार ठन जाए।है कोई गैर नहीं जिससे बैर करता है,प्रेम करने से ही रंग, रूप, गुण निखरता है। मन में वह भाव भरे, मन ही सुमन हो जाए,बात ऐसी ना करो जिससे रार ठन जाए।कोई हिंदू, न मुसलमान, सिख न ईसाई,इसी एक सत्य

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