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समाज सेवी श्री मनोज निषाद, १५ दिसंबर २०२२ से शुरू हुई अपनी सामाजिक यात्रा के दौरान महत्वपूर्ण अनुभव एकत्र किये-
जहां-जहां वहगये, उन्होंने देखा कि वहां के लोग अपनी मातृभाषा अथवा अपने देश की भाषा में ही बात करते हैं और गर्व का अनुभव करते हैं। इससे प्रभावित होकर उन्होंने निश्चय किया कि अब वह भी बोलचाल, भाषण, पत्र-व्यवहार आदि में हिन्दी का ही प्रयोग करेंगे और उसके विकास एवं समुन्नयन के लिए हर सम्भव प्रयास करेंगे। इस संकल्प का उन्होंने जीवनभर पालन करेगें। ‘कश्यप संदेश’ के जन्मके पीछेयह भी एक करण है
मुंबई में ‘सामना पत्र’ समाचार-पत्र से श्री निषाद के विषय पर श्री रामचीज निषाद के वार्ता से बहुत प्रभावित हुए। उनके मन में एक सपने ने जन्म लिया कि राष्ट्रभाषा हिन्दी में ही ऐसा ही एक प्रभावशाली समाचार-पत्र प्रकाशित किया जाना चाहिए। यह सपना ‘कश्यप संदेश’ के जन्म के रूप में साकार हुआ।
वरिष्ठ समाजसेवी ने कश्यप “संदेश”के प्रकाशनके सम्बन्ध में जब श्री रामचीज निषाद का परामर्श प्राप्त करने की चेष्टा की तो श्री रामचीज़ निषाद ने इन बातों पर विशेष बल दिया-
- महर्षि कश्यप और निषाद राज गूह की संतानों की जमात के हकहुकुम अधिकार दिलाने का प्रयत्न करेगें।
- कश्यपसंदेश-अपने पत्र के माध्यम से लोगों को उनके स्वाभाविक अधिकार समझाएं।
- अपने धर्म के पालनमें यदि विघ्र उपस्थित हो तो उसकी परवाह न करें और ईश्वर के न्याय पर विश्वास रखें। “कश्यप संदेश” का प्रकाशनारम्भ होने पर इन उपदेशात्मक बातों का पालन करना ही अखबार का उद्देश्य माना गया।
‘कश्यप संदेश’ के नामकरण के बारे में कहा गया- हमारा पत्र साप्ताहिक है। प्रत्येक सप्ताह में इसका प्रकाशन होगा। देश भर के नये-नये समाचार इसमें रहेंगे। दिन-प्रतिदिन देश एवं समाज की बदलती हुई दशा में महर्षि कश्यप और महाराजा निषाद राज गुहा की संतानोंके नये-नये विचार उपस्थित करने की आवश्यकता होगी। हम इसजो उचित, युक्त और सत्य होगा, वही सर्वदा कहेंगे। हमें रोज-रोज अपना मत तत्काल स्थिर करके बड़ी-छोटी सब प्रकार की समस्याओं को समयानुसार हल करना होगा। जिस क्षण जैसी आवश्यकता पड़ेगी, उसीकी पूर्ति का उपाय सोचना और प्रचार करना होगा। अतः हम एक सप्ताह की जिम्मेदारी प्रत्येक अंक में लेने की कश्यप संदेश की होगी, इस कारण इस पत्र का नाम ‘कश्यप संदेश’ है। बात का साहस
कश्यप संदेश’ के संचालकों द्वारा प्रकाशित कर्तव्य सूचनापत्र में लिखा है कि ‘भारत के महर्षि कश्यप और महाराज निषाद राज गुह की संतानों के गौरव मान सम्मान ,स्वाभिमान की वृद्धि और राजनीतिक उन्नति ‘कश्यप संदेश’ का विशेष लक्ष्य होगा।
- कश्यप संदेश के संचालकों द्वारा प्रकाशित कर्तव्य सूचनापत्र में लिखा है कि ‘भारत के महर्षि कश्यप और महाराज निषाद राज गुह की संतानों के गौरव मान सम्मान , स्वाभिमान की वृद्धि और राजनीतिक उन्नति ‘कश्यप संदेश’ का विशेष लक्ष्य होगा।
- हमारा उद्देश्य अपने देशवासियों संग अपने समाज को जमात के लिए हर प्रकार से स्वाभिमान का संचार करना चाहते हैं। उनको ऐसा बनायें कि भारतीय होने के साथ अपने कुल वंश का उन्हें अभिमान हो, संकोच नहीं। जब हममें आत्मगौरव होगा तो अन्य लोग भी हमें आदर और सम्मान की दृष्टि से देखेंगे। जब हमारे घर ऊंचे होंगे तो बाहर के लोग हमारा निरादर करने का साहस नहीं करेंगे।
- हमारा मूल मन्त्र है कि हमारे देश का गौरव बढ़े। यही हमारा राष्ट्रीय सिद्धान्त है और यही हमारा राजनीतिक सिद्धान्त है।
- ‘कश्यप संदेश’ देश में जातीय संघर्ष, दंगा-फसाद नहीं चाहता और न ही व्यक्ति-व्यक्ति में वैमनस्य पसन्द करता है। हम उन सभी बातों के पक्षधर हैं जिनसे भारत और भारतीयता का नाम विश्वमें रोशन हो। हमारा प्रयास यही रहता है कि व्यक्ति विशेष पर कटाक्ष न हो। उनके विचारोंकी समीक्षा और परीक्षा की जा सकती है। चरित्र-हनन से हमें परहेज है और न ही हम किसी की व्यक्तिगत जिन्दगी में ताक-झांक को पसन्द करते हैं।
- हमारा लक्ष्य अपना घर सम्भालने का है, दूसरों के घर ढहाने का नहीं। हां, अपना घर ठीक करने में यदि कोई किसी तरह की बाधा उपस्थित करता है तो हम उसका प्रतिकार अवश्य करेंगे।
- हम मानते हैं कि राष्ट्र का एकमात्र अंग राजनीति नहीं है। वह साधन है, साध्य नहीं, वह माध्यम है, लक्ष्य नहीं।
- हम देश काल के अनुरूप शिक्षा के हिमायती हैं और इसके लिए हम निरन्तर संघर्षशील रहते हैं। हम चाहते हैं कि देश में ऐसी सर्वव्यापी शिक्षा की व्यवस्था हो जिससे लोग अपने अधिकार और कर्तव्य समझ सकें। हमारा उद्देश्य है कि शिक्षा ऐसी दी जाय जिससे शिक्षितों को रोजगार मिले।
- व्यापार, व्यवसाय, कृषि आदि की उन्नति पर ‘कश्यप संदेश हमेशा जोर देता रहा है, वह उसी नीति पर आगे भी चलता रहेगा। हम मानते हैं कि धन और सम्पत्ति के बिना हमारा राष्ट्रीय जीवन निष्फल है। हमें हर नागरिक को पर्याप्त धन-धान्य, सुख-सुविधा मिले, यह भी देखना है।
- कश्यप संदेश’ धार्मिक और सामाजिक स्वतन्त्रता का पक्षधर है। हम चाहते हैं कि सभी धर्मों के लोग परस्पर मिलजुल कर स्नेह से रहें। हर आदमी यह समझे कि स्वराष्ट्र की उन्नति ही उसका सर्वश्रेष्ठ धर्म है। राष्ट्रभक्ति से ऊपर कोई धर्म नहीं।
- लेखन-शैली, विचार गम्भीर्य और शिष्ट भाषा की प्रणाली की रक्षा करते हुए सभी प्रकार के नये-पुराने मतों को ‘कश्यप संदेश’ में स्थान दिया जाता है। हम इस बात की बराबर कोशिश करते हैं कि मतों के प्रकाशन में राग-द्वेष, दलबन्दी, तटबन्दी आदि न आने पाये।
- हम यह मानते हैं कि एक जाति या देश को दूसरी जाति या देश पर अनुचित आक्रमण नहीं करना चाहिए। हर देश अन्य देशों के आक्रमण से संरक्षित रहे और अपने घर का प्रबन्ध करने में उसे पूरी आजादी प्राप्त हो। बाहर की दखलन्दाजी हमें बर्दाश्त नहीं।
- हमारी संस्कृति, सभ्यता और परम्परा सबसे पहले है। इनकी रक्षा के लिए “कश्यप संदेश” कुछ भी कर सकता है।
‘कश्यप संदेश” के विस्तारीकरण की प्रक्रिया २०२३ से शुरू हुई। कानपुर से ‘कश्यप संदेश’ का प्रकाशन शुरू हुआ है। इसके बाद उत्तर प्रदेश में आगरा, गोरखपुर, इलाहाबाद, लखनऊ, बरेली से भी ‘कश्यप संदेश’ प्रकाशित होने प्रक्रिया में। बिहार में पटना, रांची, धनबाद, जमशेदपुर से ‘कश्यप संदेश’ का प्रकाशन होना है।
कश्यप संदेश के प्रोजेक्ट एडिटर प्रमुख डॉक्टर श्री अशोक कश्यप जी के कौशल से दिन प्रति दिन उन्नामुख अग्रसर हो रहा है। श्री मुकेश कश्यप जी मार्केटिंग हेड सहर्ष निष्ठाभाव से कश्यप संदेश के मिशन को बहुत बड़ी भूमिका में आगे बढ़ाने में सराहनीय कार्यों कानिर्वाहन कर रहे हैं। आधुनिकरणकी प्रक्रिया में आईटी सेल प्रमुख श्री राकेश कश्यप जी के मार्गदर्शन में ‘कश्यप संदेश’ के सभी संस्करण कम्प्यूटर, फैक्स, मोडम, इण्टरनेट और अति आधुनिक छपाई मशीनों से लैस होने की प्रक्रिया में हैं। सूचना एवं प्रौद्योगि की के क्षेत्र में जो क्रान्ति आयी है, उससे कदम से कदम मिलाकर ‘कश्यप संदेश’ आगे बढ़ रहा है। इसकी प्रसार संख्या निरन्तर बढ़ रही है। सभी संस्करणों में साप्ताहिक विशेषांक नियमित रूप से और विभिन्न विषयों पर परिशिष्ट समय-समय पर प्रकाशित होते रहते हैं। ‘कश्यप संदेश’ ने प्राथमिकता हमेशा महर्षि कश्यप महाराज निषाद राजगुह की संतानों कीआवाज बुलन्द की है।अवरोधों के बावजूद वह कभी अपने कर्तव्य से विमुख नहीं हुआ। कश्यप संदेश’ भारतीय जनता की आवाज है।
यह “कश्यप संदेश” की परम्परागत दूरदृष्टि का प्रतीक है। सम्पादकीय इस प्रकार है- ‘संसार इस समय बेचैन है। चारों ओर हलचल है। सब नर-नारीपरेशान हैं। क्यों? राष्ट्रनीतिज्ञों को इसका कारण विचार कर निकालना चाहिए। और रोजगार का सृजन की गति तेज रफ्तार से बढ़ाने की आवश्यकता है।
‘कश्यप संदेश’ में प्रकाशित सामग्री की पठनीयता और प्रामाणिकता निर्विवाद है। ‘कश्यप संदेश’ के प्रत्येक अंक में कानपुर वाराणसी और आसपास के विस्तृत समाचार तो जाते ही हैं, प्रदेश भर के विशेषरूप से पूर्वीपश्चिम उत्तर प्रदेश के समाचारों को विशेष महत्व दिया जाता है। इन समाचारों के संकलन के लिए निजी संवाददाताओं का जाल फैला हुआ है। अन्य प्रदेशों की राजधानियों तथा विदेशों से प्राप्त समाचारों के प्रकाशन की भी विशेष व्यवस्था होने जा रही है।
विविध समाचारों के अलावा विभिन्न विषयों पर पठनीय सामग्री भी प्रकाशित होती रहती है। अलग-अलग विषयों के लिए अलग-अलग दिन बंधे हुए हैं। किसी दिन अर्थ-वित्त-वाणिज्य-श्रम सम्बन्धी लेख निकलते हैं तो किसी दिन शिक्षा, शिक्षक और शिक्षार्थियों की समस्याओं पर लेख छपते हैं। कृषि, ग्राम्य जीवन, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य और अन्तरराष्ट्रीय विषयों पर भी लेखों का नियमित प्रकाशन होता है। विभिन्न समस्याओं पर पाठकों के विचार भी आमंत्रित किये जाते हैं और उन्हें विधिवत छापा जाता है। ‘कश्यप संदेश’ में हर वर्ग और विभिन्न रुचि के पाठकों के लिए प्रचुर सामग्री विद्यमान रहती है।
रामचीज निषाद सम्पादक ‘कश्यप संदेश’ का कौशलपूर्वक संचालन कर रहे हैं। उन्होंने जब प्रधान सम्पादक का कार्य सम्भाला है, उथल-पुथल और संकटों संघर्ष का समय है। हिन्दी समाचार-पत्र भी उससे अछूते नहीं थे। मिशन की भावना का लोप हो चुका था। व्यावसायिक मानसिकता और व्यावसायिक वास्तविकता ने पत्रों का स्वरूप औरउद्देश्य ही बदल दिया है। उद्योग, व्यापार और राजनीति का नया अर्थ नवीन शक्ति के रूप में समाजको प्रभावित कर रहा है। महंगी और अभाव जन-जीवन को सन्त्रस्त कर रहा है। अखबारी कागज औरअन्य संसाधन भी सहज उपलब्ध नहीं हो रहे है। ऐसी विषम परिस्थिति में भी रामचीज निषाद ने ‘कश्यप संदेश’ की गौरवपूर्ण परम्परा की रक्षा करते हुए पत्र को उन्नति की ओर अग्रसर किया।
श्री निषाद ने अनेक बाधाओं के बावजूद पत्र का पृष्ठ-विस्तार कर उसे नये भारत की आवश्यकता के अनुरूप बनायाहै। पत्र में केवल राजनीतिक समाचार ही नहीं, सांस्कृतिक, साहित्यिक और लोकमंगल से जुड़ी खबरों को भी अधिक स्थान और महत्व प्राप्त होने लगा है। आपने विभिन्न समाज में राष्ट्र-निर्माण व आत्मनिर्भर के प्रति जागृति पैदा करने के लिए पत्र के माध्यम से समाज को प्रेरित किया। भारत की आत्मागांवों में बसती है। पराधीन काल में इनकी जिस तरह उपेक्षा की गयी, उससे न केवल आत्मनिर्भरता समाप्त हो गयी अपितु उसका सांस्कृतिक वैशिष्ट्य भी नष्ट हो गया। आपनेलुप्त होती लोककला और लोक संस्कृति को नया जीवन देने के लिए पत्र के माध्यम से यथेष्ट प्रोत्साहन दिया।‘कश्यप संदेश’ पहला पत्र है जिसने सबसे अधिक महत्व गांवों को दिया। विश्वसनीयता पत्र की सफलता की कुंजी है। यही समाचार पत्र की सार्थकता को सिद्ध करती है। वह इसके लिए सदैव सतर्क रहते हैं। श्री निषाद पत्रकारिता के उन गुणों तथा परम्पराओं के प्रबल समर्थक है जिसको सामाजिक विचारक श्री निषाद ने प्रस्थापित किया है और जिनके द्वारा यह क्षेत्र सम्मानित और गौरवान्वित होता है। श्री निषाद मानते हैं कि लिखे हुए शब्द सत्यनिष्ठ होने चाहिए। उनकोस्पष्ट निर्देश है कि सत्य का निरूपण करना कर्तव्य है|
‘कश्यप संदेश’ की स्वर्ण जयन्ती महर्षि कश्यपएवं महराजा निषाद राजगुह के जन्म उत्सव के अवसर पर “कश्यप संदेश” प्रकाशन नि:शुल्क वितरित किया जायेगा।
वर्तमान में श्री राम चीज निषाद ‘कश्यप संदेश’ के प्रधानसम्पादक हैं। उनके कुशल नेतृत्व और निर्देशन में यह पत्र निरन्तर उन्नति के पथ पर अग्रसर है। उन्होंने सन्ï २०२३ में प्रधान सम्पादकका कार्यभार सम्भाला। वैसे, सन्ï २००७से ही वह पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं जब उनके नेतृत्वमें अत्यन्त लोकप्रिय साप्ताहिक समाचार पत्र “कश्यप संदेश” का प्रकाशन आरम्भहुआ। इस साप्ताहिक समाचार पत्रने अल्पकालमें ही हिन्दी जगतमें अपना महत्वपूर्ण स्थन बनाने की राह पर अग्रशर है। उन्होंने ‘कश्यप संदेश’ के सम्पादककाकार्यभार सम्भालते ही पूरे मनोयोग और अपार उत्साह से पत्र के विस्तार की योजना बनायी और उसे मूर्तिमान करने के लिए अथक प्रयास किया। यह उनकी दूरदर्शिता ओर निषाद संकल्प का परिणाम है किकश्यप संदेश साप्ताहिक पत्र देश के विभिन्न राज्यों के पन्द्रह नगरों से एक साथ प्रकाशित होने जा रहा है और इसकी प्रसार संख्या लाखों में पहुंच पहुंचने वाली है है। कश्यप संदेश पत्रकारिता पेशा बनगयी है। व्यावसायिक स्पर्धाने पत्रोंको आकर्षक अवश्य बनाया है लेकिन निरन्तर महंगे हो रहे पत्र आम आदमी की पहुंचसे बाहर होते जा रहे हैं। इसके विपरीत श्री निषाद ने “कश्यप संदेश” को सर्वसुलभबनाये रखा है। वस्तुत: वह उन आदर्शों और सिद्धान्तोंके लिए प्रतिबद्ध हैं जिनकोलेकर राष्ट के महान सामाजिक विचारकश्री मनोज निषाद ने “कश्यप”संदेश’ की स्थापना कीहै। श्री निषादने पत्रको जनसेवाका माध्यम बनाये रखा है। उनके नेतृत्व, उदार प्रोत्साहन, उदात्त प्रेरणाऔर सक्रिय सहयोगसे ‘कश्यप संदेश’ निरन्तर आगे बढ़ रहा है।
‘कश्यप संदेश’ हर मोर्चेपर ईमानदार से लड़ाई लड़ रहा है। उसकी नजर आज भी शासकपर है, शासित पर है। अफसरशाही की गतिविधियों पर उसकी कड़ी नजर होती है। ग्राम जगत उससे अछूता नहीं है। गांवों की समस्याओं को वह सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। शिक्षा, शिक्षक, शिक्षार्थी, महिलाओंकी स्थिति, बढ़ते अपराध, सरकारकी दुर्नीति, पुलिसकीनिष्क्रियता सबपर उसकी नजर होती है। मजदूर और कानून, हड़ताल और बन्द सभी उसके दायरे में हैं। राजनीतिक दल और धार्मिक प्रश्न जैसे विषयों पर ‘कश्यप संदेश’ के विचार स्वतन्त्रत होते हैं। श्रमजीवी युग की बारीकियों को वह पहचानता है। भविष्यपर ‘कश्यप संदेश’ की नजर बराबररहती है। अहिंसापर हम पहले भी जोर देते रहे और आगे भी देते हैं। राष्ट्र की आर्थिकसमृद्धिके बारेमें ‘कश्यप संदेश’ की चिन्ता सर्वोपरि है और जनताके सुख-दु:खका साथी बनेरहनेमें ‘कश्यप संदेश’ को गर्वका अनुभवहोता है। हम आपबीतीको विशेष महत्व देते हैं। आपबीती वह है जो हमारे देशकी जनतापरबीतती है। प्रकाशमें अन्धकार ढूंढऩेकी ‘कश्यप संदेश’ की आदत नहीं है, फिर भी वह सचेष्टï रहता है कि सर्वत्र प्रकाश ही प्रकाश हो। अन्धेरा मिट जाय। जनता क्या चाहती है इसे शासकोंतकपहुंचाना हमारा फर्ज है। हम जनसेवाके व्रती हैं। ‘कश्यप संदेश’ के लिए भारतवासीही नहीं, सम्पूर्ण मानवमात्र ईश्वर समान है। हम मानते हैं कि मानव सेवा ही सच्ची ईश्वर सेवा है। इसीरास्तेपर ‘कश्यप संदेश’ चल रहा है।
कश्यप संदेश का प्रकाशन ।साप्ताहिक कश्यप संदेश’२०२३ में शुरु हुआ है।