राम कुमार निषाद, औरैया ब्यूरो, कश्यप संदेश
बलिया जिले की लक्ष्मी साहनी की कहानी संघर्ष, साहस और सफलता की अद्वितीय मिसाल है। दिव्यांग होने के बावजूद लक्ष्मी साहनी अपनी अद्भुत प्रतिभा से सभी को प्रेरित करती हैं। उनके दोनों पैर न होने के बावजूद वह पानी पर 72 घंटे तक लेट कर पूजा करना, खाना-पीना, मोबाइल पर बात करना और अपनी दैनिक दिनचर्या को पूरा करने में सक्षम हैं। उनकी यह असाधारण प्रतिभा न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि उन्हें कई बार सम्मानित भी किया गया है।
जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन करने का अवसर आया, तो लक्ष्मी की आर्थिक स्थिति आड़े आई। लेकिन उनके सपनों को नई उड़ान देने का जिम्मा उठाया सुभाष कश्यप जी ने। उन्होंने लक्ष्मी साहनी की मदद के लिए लाखों रुपये की आर्थिक सहायता दी। रजिस्ट्रेशन फीस, आने-जाने का किराया, खाने-पीने की व्यवस्था सब कुछ सुभाष कश्यप जी ने सुनिश्चित किया।
सुभाष कश्यप ने लक्ष्मी को आशीर्वाद देते हुए कहा, “तुम इंग्लैंड की इंग्लिश नदी को पार कर इतिहास रचोगी। मैं तुम्हारे साथ हूं।” लक्ष्मी की मेहनत और सुभाष कश्यप के सहयोग से यह सपना अब साकार होने की ओर अग्रसर है।
लक्ष्मी साहनी की यह कहानी हमें सिखाती है कि प्रतिभा और हौसले के सामने कोई भी बाधा टिक नहीं सकती।