इतिहास समाज के अनुभवों का ऐसा विश्वकोश है, जो हमें अतीत के संघर्षों, सफलताओं और असफलताओं का बोध कराते हुए उन्नति एवं रक्षा के मार्गों की दिशा दिखाता है। इतिहास का महत्व स्वतंत्रता के महत्व से किसी भी प्रकार कम नहीं है। स्वतंत्रता चाहे क्षणिक रूप से छिन भी जाए, परंतु इतिहास की रक्षा करना अनिवार्य है। इतिहास हमारे पूर्वजों के संघर्षों और महान कर्मों का साक्षी है। यदि इतिहास सुरक्षित है, तो खोई हुई स्वतंत्रता को भी पुनः प्राप्त किया जा सकता है।
बाबू बलदेव सिंह गौड़ ने इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए समाज को एक अमूल्य संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि जो जातियां अपने इतिहास को सुरक्षित नहीं रख पातीं, अपने महापुरुषों के गौरव और उनके कारनामों को भुला देती हैं, वे धीरे-धीरे पराधीनता के गर्त में समा जाती हैं। ऐसी जातियां परावलंबी होकर विभिन्न यातनाओं का सामना करती हैं।
बाबू बलदेव सिंह गौड़ ने भारतीय आदिवासियों के गौरवशाली इतिहास को संजोने के उद्देश्य से “भारत के आदिवासी” नामक पुस्तक की रचना की। यह पुस्तक भारतीय आदिवासियों के विस्तृत इतिहास का वर्णन करती है। इसमें आदिवासी समाज के संघर्ष, उनकी संस्कृति, परंपराएं, और उनके अधिकारों की लड़ाई को दर्शाया गया है। उन्होंने इस पुस्तक के माध्यम से यह संदेश दिया कि इतिहास केवल अतीत की घटनाओं का संकलन नहीं है, बल्कि यह वर्तमान और भविष्य के लिए मार्गदर्शक है।
उनका कहना था कि इतिहास की रक्षा हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। जब तक हम अपने पूर्वजों के बलिदानों और उनकी उपलब्धियों को याद रखते हैं, तब तक हमारी स्वतंत्रता और हमारी पहचान सुरक्षित रहती है। इसीलिए, हमें अपने इतिहास को संजोने और उसे अगली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए।
बाबू बलदेव सिंह गौड़ का यह संदेश न केवल समाज को जागरूक करता है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। उनका जीवन और उनकी रचनाएं हमें सिखाती हैं कि इतिहास केवल एक विषय नहीं, बल्कि यह हमारी अस्मिता और स्वतंत्रता का आधार है।