पितृपक्ष के दिनों में हमारे पूर्वज, जिन्हें हम “पितृ” कहते हैं, हमारे घरों में आते हैं। वे हमारे घर के हाल-चाल देखने आते हैं, और यह देखते हैं कि हम उनके प्रति कैसा व्यवहार कर रहे हैं। ये 15-16 दिनों का समय पितृ हमारे घर में रहते हैं, और इस दौरान हमें उनके लिए कुछ आवश्यक कार्य करने चाहिए ताकि वे खुश होकर हमें आशीर्वाद दें।
पितरों को प्रसन्न करने के उपाय:
- प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूरज को जल अर्पण करें और उसके बाद 108 बार “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- पितृ स्तोत्र का पाठ करें, चाहे वह हिंदी में हो या संस्कृत में।
- “भगवद गीता” के सातवें अध्याय का पाठ प्रतिदिन करें।
शाम के समय विशेष ध्यान दें:
- दक्षिण दिशा में मुख करके तिल के तेल का दीपक जलाएं।
- रसोई में जहां पानी रखा जाता है, वहां एक दीपक जलाएं।
- खाना बनाने के बाद एक थाली में थोड़ा-थोड़ा भोजन और एक गिलास पानी निकालकर पितरों के निमित्त रसोई या घर में पितृ स्थान पर रखें।
भोजन अर्पण करते समय यह कहना चाहिए, “हे मेरे पितृ, जो इस समय मेरे घर में उपस्थित हैं, मैं सप्रेम आपको यह भोजन भोग के रूप में अर्पण कर रहा/रही हूं। कृपया इसे स्वीकार करें और मुझे तथा मेरे परिवार पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें।”
अतिरिक्त सावधानियां:
- पितृपक्ष के दौरान घर में मांसाहार, शराब, लहसुन और प्याज का सेवन बंद कर दें।
- बाल, दाढ़ी और नाखून न कटवाएं।
- गरीबों को भोजन कराना हो तो सर्वपितृ अमावस्या को उन्हें भोजन अवश्य कराएं।
पितृपक्ष: कष्ट नहीं, वरदान
पितृपक्ष कोई कष्ट नहीं, बल्कि हमारे पूर्वजों से मिलने का एक विशेष अवसर है। यदि हम सही तरीके से अपने पितरों को याद करते हैं, उनके निमित्त पूजा और दान करते हैं, तो वे प्रसन्न होकर हमें सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। पितृ दोष को एक वरदान के रूप में देखकर, हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
इस पितृपक्ष, अपने पितरों को सम्मान दें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।