मछुवारा समुदाय, जो परंपरागत रूप से नदियों, झीलों और तालाबों के किनारे बसते हैं, हमेशा से ही आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से उपेक्षित रहा है। इनके जीवन का मुख्य आधार मछली पकड़ना और तराई क्षेत्र की खेती है, जो असुरक्षित और अस्थाई आय के साधन हैं। ऐसे में, इनके आर्थिक और सामाजिक जीवन को स्थिरता प्रदान करने के लिए आरक्षण में भी आरक्षण की आवश्यकता अब और भी महत्वपूर्ण हो गई है
मछुवारों की आय का मुख्य साधन मछली पकड़ना और तराई क्षेत्रों में खेती करना है, लेकिन ये दोनों ही अस्थाई और प्राकृतिक मुश्किलों से प्रभावित होते हैं। मानसून के दौरान नदी के किनारों पर बसे इनके घर पानी में बह जाते हैं, जिससे इन्हें हर साल नई जगह पर बसना पड़ता है। इसके साथ ही, तराई क्षेत्रों में सरकारी साधनों और सुविधाओं का आभाव रहता है, जिससे इनके जीवन स्तर में सुधार की कोई संभावना नहीं दिखती
मछुवारा समुदाय का जीवन नदियों के किनारे बसा होने के कारण बहुत ही कठिनाइयों से भरा है। इनके निवास स्थान अक्सर बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के शिकार हो जाते हैं, जिससे हर वर्ष इन्हें नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में, इनके जीवन में स्थिरता और सुरक्षा का अभाव बना रहता है, जो इनके आर्थिक और सामाजिक जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है।
सामान्य वर्ग को जहाँ 6 लाख से कम आय वालों को मूे का लाभ दिया जाता है, वहीं मछुवारों की भौगोलिक और सामाजिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उनके लिए आरक्षण में भी आरक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे न केवल उनके जीवन स्तर में सुधार होगा, बल्कि उनकी शिक्षा और सामाजिक स्थिति भी मजबूत होगी।
सरकार को चाहिए कि वह मछुवारा समुदाय की दयनीय स्थिति को समझे और उनके लिए आरक्षण में भी आरक्षण की व्यवस्था करे, ताकि यह समुदाय भी मुख्यधारा में शामिल हो सके और अपने जीवन को बेहतर बना सके। आरक्षण में भी आरक्षण की यह व्यवस्था मछुवारा समुदाय के लिए एक नई उम्मीद और भविष्य के प्रति आशा की किरण साबित हो सकती है।