कश्यप सन्देश

जन्माष्टमी: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का महत्व : ए. के. चौधरी की कलम से

जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे सनातन धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग के अंत में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को, जब रोहिणी नक्षत्र का संयोग हुआ, तब भगवान विष्णु ने अपने 10 अवतारों में से एक, योगेश्वर भगवान कृष्ण के रूप में धरती पर जन्म लिया। इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी, जब वही अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का योग होगा, जो उनके जन्म के समय था।

भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बाल्यकाल से ही कंस जैसे अत्याचारी राक्षसों का संहार कर धरती को पाप मुक्त किया और सनातन धर्म की पुनः स्थापना की। इसलिए, सनातन धर्मावलंबी इस पवित्र दिन को हर्षोल्लास, भक्ति, और पवित्रता के साथ मनाते हैं।

जन्माष्टमी के दिन, लोग व्रत रखते हैं, मंदिरों में जाकर भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं और भजन-कीर्तन से माहौल को भक्तिमय बनाते हैं। इस दिन, कई मंदिरों और घरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। कई स्थानों पर दही-हांडी का उत्सव भी धूमधाम से मनाया जाता है, जो भगवान कृष्ण के बाल लीलाओं की याद दिलाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, जीवन की समस्याओं से मुक्ति भी मिलती है। जन्माष्टमी के अवसर पर आप इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं:

  • ‘ऊँ क्लीं कृष्णाय नम:’ – भगवान कृष्ण की विशेष कृपा पाने के लिए।
  • ‘ऊँ श्री कृष्णाय शरणं मम्’ – जीवन में सुख-शांति और संकटों से बाहर निकलने के लिए।

इस प्रकार, जन्माष्टमी का पर्व हमें भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य चरित्र और उपदेशों की याद दिलाता है और हमें धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

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